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किसानों के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने दी सिंचाई योजना को स्वीकृति

 

9000 हेक्टेयर क्षेत्र में पहुंचेगा पानी

 

परियोजना से नवंबर 2022 से सिंचाई प्रारंभ हो सकेगी.

परियोजना से कुल 9 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होगी.

पूर्व में सीहोर जिले में प्रस्तावित सनकोटा एवं मोगराखेड़ा योजनाओं के स्थान पर यह परियोजना स्वीकृत की गई है.

 

मध्य प्रदेश में वृहद परियोजना नियंत्रण मंडल की 116 वीं बैठक हुई.

बैठक में सीहोर जिले की सीप अंबर कॉम्पलेक्स परियोजना के लिए स्वीकृति प्रदान की गई.

परियोजना से नवंबर 2022 से सिंचाई प्रारंभ हो सकेगी. परियोजना से कुल 9 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होगी.

पूर्व में सीहोर जिले में प्रस्तावित सनकोटा एवं मोगराखेड़ा योजनाओं के स्थान पर यह परियोजना स्वीकृत की गई है.

 

पूर्व की दोनों योजनाओं से कुल प्रस्तावित कमांड क्षेत्र 9 हजार हेक्टेयर में से 8 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई सीप अंबर प्रेशराइज्ड सिंचाई परियोजना से की जाएगी.

बाकी 1 हजार हेक्टेयर की सिंचाई नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अंतर्गत निर्माणाधीन छीपानेर उद्वहन परियोजना से होगी.

 

नई परियोजना से पूर्व में स्वीकृत सनकोटा एवं मोगराखेड़ा परियोजना के डूब क्षेत्र के तहत आने वाली वन भूमि 526.09 हेक्टेयर और 63 परिवारों के विस्थापन की बचत होगी.

इसके अलावा नसरुल्लागंज तहसील के 31 गांवों के लगभग 5 हजार कृषकों को फायदा होगा. परियोजना के लिए 174.94 करोड़ की स्वीकृति दी गई है.

 

किसानों के लिए लगातार कदम उठा रही राज्य सरकार

किसानों की बेहतरी के लिए राज्य सरकार लगातार कदम उठा रही है.

बीते सप्ताह ही सरकार ने एक जिला-एक उत्पाद योजना के तहत देवास और हरदा जिले में बांस क्षेत्र के लिए 5 वर्षीय रोड मैप तैयार किया था.

इन दोनों जिले में 3800 हेक्टेयर क्षेत्र में बांस रोपण के साथ 2500 किसान और बांस शिल्पियों को कौशल उन्नयन का प्रशिक्षण दिया जाएगा.

 

वन विभाग के अंतर्गत राज्य बांस मिशन द्वारा इन जिलों में प्रोसेसिंग की 6 इकाइयां भी स्थापित की जाएंगी.

बांस मिशन देवास और हरदा जिले के किसानों को 1400 हेक्टेयर अनुपजाऊ निजी जमीन पर बांस रोपण कराकर अनुदान उपलब्ध कराएगा.

इसके अलावा विभागीय रोपण और मनरेगा में 2250 हेक्टेयर क्षेत्र में बांस-रोपण कराया जाएगा.

 

राज्य सरकार ने प्रदेश में बांस आधारित उद्योग स्थापित करने के लिए 10 क्षेत्रों के पहचान की है.

पिछले वित्त वर्ष में राज्य सरकार ने निजी क्षेत्र के लाभार्थियों की 16 इकाइयां मंजूर की थीं और उन्हें 2.03 करोड़ रुपए का अनुदान दिया था.

 

यह अनुदान प्रमुख रूप से बांस के ट्रीटमेंट तथा सीजनिंग प्लांट, बांस प्र-संस्करण केन्द्र एवं मूल्य संवर्धन इकाई, बांस कचरा प्रबंधन, अगरबत्ती इकाई, एक्टिवेटेड़ कार्बन प्रोडक्ट, बेम्बो बोर्ड/फ्लोर टाइल्स यूनिट और हाईटेक और बिग नर्सरी के प्रोजेक्ट पर दिया जा सकेगा.

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