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जैविक खेती और उत्पादों के निर्यात में मध्य प्रदेश देश में अव्वल

 

जैविक खेती और उत्पादों के निर्यात

 

देश के जैविक उत्पाद में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी मध्य प्रदेश की, एक लाख से अधिक पंजीकृत किसान

 

  1. देश के जैविक उत्पाद में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी मध्य प्रदेश की, एक लाख से अधिक पंजीकृत किसान
  2. सोयाबीन, चना, मसूर, तुअर, और उड़द के उत्पादन में नंबर एक, रामतिल और मूंग में दूसरा स्थान

 

जैविक खेती का क्षेत्र बढ़ रहा है

मध्य प्रदेश जैविक खेती और इससे जुड़े उत्पादों के निर्यात में देश में अव्वल है। प्रदेश में लगातार जैविक खेती का क्षेत्र बढ़ रहा है।

वर्ष 2017-18 में 11 लाख 56 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती हो रही थी। जबकि, वर्ष 2020-21 में यह क्षेत्र बढ़कर 16 लाख 37 हजार हेक्टेयर से अधिक हो गया है।

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) की वर्ष 2020-21 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश से पांच लाख टन जैविक उत्पाद का निर्यात हुआ, जो ढाई हजार करोड़ रुपये से अधिक का था।

 

जैविक खेती करने वाले पंजीकृत किसानों की संख्या एक लाख से अधिक है।

सोयाबीन, चना, मसूर, तुअर और उड़द के उत्पादन में मध्य प्रदेश देश में नंबर एक पर है।

वहीं, रामतिल और मूंग में दूसरा और गेहूं और बाजरा के उत्पादन में तीसरा स्थान है।

 

जैविक खेती को बढ़ावा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। शिवराज सरकार भी इस दिशा में काम कर रही है।

इसके लिए 2011 में जैविक कृषि नीति बनाई गई और 2014 में मंडला में निवेशक सम्मेलन भी किया।

दरअसल, प्रदेश में जैविक खेती का रकबा (क्षेत्र) तो बढ़ रहा है पर उत्पाद की मार्केटिंग और ब्रांडिंग न होने से उत्पादकों को फायदा नहीं मिल पाता है।

 

इसे देखते हुए कृषि विभाग अब किसान और व्यापारियों को एक मंच पर लाने की दिशा में काम कर रहा है।

अपर मुख्य सचिव कृषि एवं सहकारिता अजीत केसरी का कहना है कि कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) की वर्ष 2020-21 की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश जैविक खेती के मामले में देश में अव्वल है।

 

प्राकृतिक तौर पर मध्य प्रदेश में जैविक खेती का क्षेत्र सर्वाधिक है। वहीं, किसान भी लगातार प्रेरित हो रहे हैं।

वर्ष 2020-21 में उत्पादन 13 लाख 92 हजार 95 टन रहा है, जो देश में सर्वाधिक है। इसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान और उत्तर प्रदेश का नंबर आता है।

जैविक उत्पाद के निर्यात की दृष्टि से देखें तो देश-दुनिया में इसकी मांग बढ़ रही है।

मध्य प्रदेश से वर्ष 2020-21 में पांच लाख 636 टन जैविक उत्पाद निर्यात किए गए। इसका मूल्य दो हजार 836 करोड़ रुपये होता है।

 

चावल सर्वाधिक होता है निर्यात

संचालक कृषि प्रीति मैथिल नायक ने बताया कि जैविक उत्पाद में प्रदेश से सर्वाधिक चावल निर्यात होता है। देश से होने वाले निर्यातय में मध्य प्रदेश का हिस्सा एक तिहाई से अधिक है।

प्रदेश उड़द, सोयाबीन, तुअर, मसूर और चना के उत्पादन में नंबर एक पर है। वहीं, रामतिल और मूंग के उत्पादन में नंबर दो पर है।

गेहूं और बाजरा के उत्पादन में मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर है।

जैविक प्रमाणीकरण संस्था द्वारा जो किसान जैविक खेती के लिए पंजीयन कराते हैं, उनका क्षेत्र प्रमाणित करती है। संस्था के अधिकारियों द्वारा निरीक्षण भी किया जाता है।

निर्यात करनेे वाली कंपनियों द्वारा प्रमाण्ाीकरण का कार्य करवाया जाता है।

 

इन जिलों में अधिक होती है जैविक खेती

मंडला, डिंडोरी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, बैतूल, कटनी, उमरिया, अनूपपुर, उमरिया, दमोह, सागर, आलीराजपुर, झाबुआ, खंडवा, सीहोर, श्योपुर और भोपाल ।

 

जैविक खेती का क्षेत्र

वर्ष क्षेत्र
2017-18 11,56,881
2018-19 09,18,303
2019-20 11,61,015
2020-21 16,37,730

 

उत्पादन बढ़ेगा और जल धारण क्षमता भी

पूर्व कृषि संचालक जीएस कौशल का कहना है कि जैविक खेती से उत्पादन भी बढ़ता है और भूमि की जलधारण करने की क्षमता में भी वृद्धि होती है।

जैविक खेती से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। खाद का सही उपयोग करने से उत्पादन भी बढ़ता है और मध्य प्रदेश में यह बढ़ भी रहा है।

उत्पादन प्रभावित होने को लेकर जो भ्रम फैलाया जाता है, वो सही नहीं है। जैविक खेती से भूमि भुरभुरी हो जाती है।

इससे वर्षा का पानी अधिक धारण करती है। इससे भूमिगत जलस्तर में भी सुधार होता है।

जैविक खेती से लागत घटती है और पशुपालन करने से आय भी बढ़ती है।

source : naidunia

 

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