जीवामृत की मदद से जमीन को पोषक तत्व मिलते हैं और ये एक बेहतर खाद के तौर पर काम करती है. इसकी वजह से मिट्टी में (घर पर) सूक्ष्म जीवों की गतिविधि बढ़ जाती है.
इसके अलावा जीवामृत की मदद से पेड़ों और पौधों को कवक और जीवाणु से उत्पन्न रोग होने से भी बचाया जा सकता हैं. ऐसे में किसान आसानी से बेसन और गोबर से घर पर जीवामृत बना सकते हैं.
फसलों पर प्रयोग विधि भी जानिए
देश के अधिकतर किसान अपनी बंजर होती जमीन को बचाने के लिए परेशान हैं क्योंकि रासायनिक खाद और कीटनाशक के अधिक प्रयोग से जमीन अपनी उर्वरक शक्ति खोती जा रही है.
ऐसे में किसान खेतों को बचाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं. इसी मुश्किल स्थिति का सामना करने के लिए किसान अपनी खेती में जीवामृत का इस्तेमाल करने लगे हैं.
दरअसल, जीवामृत की मदद से जमीन को पोषक तत्व मिलते हैं और ये एक बेहतर खाद के तौर पर काम करती है. इसकी वजह से मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की गतिविधि बढ़ जाती है.
इसके अलावा जीवामृत की मदद से पेड़ों और पौधों को कवक और जीवाणु से उत्पन्न रोग होने से भी बचाया जा सकता हैं.
ऐसे में किसान आसानी से बेसन और गोबर से घर पर जीवामृत बना सकते हैं. साथ ही इसका कैसे उपयोग करना है, ये जानना भी जरूरी है.
जीवामृत बनाने की विधि
जीवामृत बनाने के लिए एक ड्रम में 200 ली. पानी डालें और उसमें 10 किलो ताजा गाय का गोबर, 10 ली गाय का मूत्र, 1 किलो बेसन (किसी भी दाल का), पुराना गुड़ और 1 किलो मिट्टी को मिला लें.
यह सब चीजें मिलाने के बाद इस मिश्रण को 48 घंटे के लिए छाया में रख दें. फिर 2 से 4 दिन बाद यह मिश्रण इस्तेमाल के लिए तैयार हो जाएगा.
इस मिश्रण के इस्तेमाल से फसलों की पैदावार में बढ़ोतरी होती है. साथ ही मिट्टी की क्वालिटी भी बेहतर होती है.
प्रयोग करने की विधि
जीवामृत को आवश्यकता के अनुसार महीने में एक या दो बार 200 लीटर प्रति एकड़ की दर से सिंचाई के साथ दिया जाता है.
वहीं, खड़ी फसलों पर जीवामृत का छिड़काव बुवाई के 21 दिनों बाद प्रति एकड़ 100 लीटर पानी में 5 लीटर जीवामृत मिलाकर करना चाहिए.
दूसरा छिड़काव, पहले छिड़काव के 21 दिनों बाद प्रति एकड़ 200 लीटर पानी और 20 लीटर जीवामृत को मिलाकर करें.
इसके साथ ही तीसरा छिड़काव, दूसरे छिड़काव के 21 दिनों बाद प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में 20 लीटर जीवामृत मिलाकर करें.
क्या हैं जीवामृत के फायदे
- खेतों में जीवामृत से पौधों की जड़ को ऑक्सीजन लेने में काफी मदद करता है.
- जीवामृत का प्रयोग कंपोस्ट खाद बनाने में भी किया जाता है, इससे केंचुए की संख्या बढ़ाने में मदद मिलती है.
- इसके इस्तेमाल से पौधों को पोषक तत्व सोखने में भी काफी मदद मिलती है.
- जीवामृत से मिट्टी की उर्वरा शक्ति के साथ-साथ फसल का उत्पादन बढ़ाने में भी मदद मिलती है.
- इससे फसल को बढ़ाने वाले सूक्ष्म जीव, जीवाणु और बैक्टीरिया तेजी से काम करने लगते हैं.
- इसके इस्तेमाल से मिट्टी नरम हो जाती है, जिससे जड़ों को फैलने में मदद मिलती है.
- जीवामृत के प्रयोग से बंजर मिट्टी भी उपजाऊ बन सकती है.
- जीवामृत बीजों के अंकुरण और पत्तियों को हरा-भरा बनाने में काफी मदद करती है.
- इसके इस्तेमाल से उगने वाली सब्जी, फल और अनाजों में अलग ही स्वाद होता है.