किसानों को इसकी बुवाई से होगा मुनाफा
हम शरीर में प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए मांस, अंडा, दूध व महंगे पाउडर पर निर्भर रहते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं कहना होगा.
दरअसल, अब काशी हिंदू विश्वविद्यालय/बीएचयू के वैज्ञानियों ने मक्का की किस्म तैयार की है, जो प्रोटीन के साथ-साथ कैल्शियम से भरपूर है.
इसके साथ ही शरीर में खून की कमी को पूरा करेगी. तो आइए आपको मक्के की इस किस्म के बारे में विस्तार से बताते हैं.
मक्के की नई किस्म
दरअसल, बीएचयू (BHU) के कृषि विज्ञान संस्थान में बायोफोर्टिफाइड (पौध प्रजनन के जरिए फसलों में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाना) मक्का की किस्म विकसित की गई है.
इस किस्म में सामान्य मक्का की अपेक्षा ढाई गुना यानि लगभग 150 प्रतिशत ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है.
इस किस्म को ‘मालवीय स्वर्ण मक्का-वन’ का नाम दिया गया है. यह महामना पं. मदन मोहन मालवीय के नाम पर रखा गया है.
संस्थान का कहना है कि मक्का की यह किस्म आमजन के साथ ही निर्धन और शाकाहारी खिलाडिय़ों के लिए विशेष तौर पर प्रोटीन का बड़ा स्रोत है.
मक्के की मालवीय स्वर्ण मक्का-वन किस्म की विशेषताएं
इस बायोफोर्टिफाइड मक्के में सामान्य प्रोटीन की मात्रा 9 से 10 प्रतिशत है.
वहीं, प्रोटीन लायसिन और ट्रिप्टोफेन की मात्रा 0.8 प्रतिशत है, जो सामान्य मक्के में 0.3 प्रतिशत तक होती है.
बता दें कि शरीर में लायसिन और ट्रिप्टोफेन कैल्शियम और खून बनने की प्रक्रिया को तेज करते है.
वहीं, इस मक्के का सेवन करने से खून की कमी दूर होती है और आयरन की टैबलेट लेने की जरूरत नहीं पड़ती है.
यह मक्का सामान्य से अधिक मीठा और बेहद पौष्टिक होता है. इसके दानों को उबाल कर नाश्ते में खा सकते हैं.
किसमें कितना होता है प्रोटीन
वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया है कि सबसे अधिक 43.2 प्रतिशत प्रोटीन सोयाबीन में पाया जाता है.
वहीं, चना और मसूर में 22 फ्रतिशत होता है, साथ ही मूंगफली, काजू, बादाम और मांस में भी 22 प्रतिशत और मछली में 20 प्रतिसत प्रोटीन होता है.
इसके अलावा अंडे में 13.3, गाय के दूध में 3.2 और भैंस के दूध में 4.2 प्रतिशत प्रोटीन होता है.
जबकि मक्के की इस किस्म में इसकी मात्रा 9 से 10 प्रतिशत हैं. यानि इस तरह मक्के की यह किस्म उगाना किसानों के लिए भी काफी लाभदायक साबित होगी.
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