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क्या है मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना…..?

 

जिससे आप अपने गांव में ही कर सकते हैं शानदार कमाई

 

फसल बीमा योजना समेत कई ऐसी योजनाएं ऐसी हैं, जिनका लाखों किसानों को फायदा मिल रहा है. ऐसी ही एक योजना है, जिसका नाम है मृदा स्वास्थ्य कार्ड.

 

केंद्र सरकार किसान और उनकी फसल के लिए लगातार काम कर रही है और सरकार की ओर से कई योजनाएं भी शुरू की गई हैं.

फसल बीमा योजना समेत कई ऐसी योजनाएं ऐसी हैं, जिनका लाखों किसानों को फायदा मिल रहा है. ऐसी ही एक योजना है, जिसका नाम है मृदा स्वास्थ्य कार्ड.

इस योजना की खास बात ये है कि इससे ना सिर्फ किसान की पैदावार बढ़ रही है जबकि कई लोगों को रोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं.

इसके जरिए एग्रीकल्चर फील्ड में काम कर रहे लोग काफी अच्छी कमाई कर रहे हैं.

 

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इस योजना को सोयल हेल्थ कार्ड स्कीम योजना भी कहा जाता है. सॉयल हेल्थ कार्ड में किसानों के खेत की मिट्टी की पूरी जानकारी लिखी होती है.

उसमें कितनी-कितनी मात्रा किन-किन चीजों की है और कौन सा फ़सल करने के लिए कितना और कौन सा खाद किसानों को खेतों में इस्तेमाल करना होगा.

साथ ही मिट्टी को लेकर कई तरह की जानकारी शेयर की जाती है.

 

कमाई का है भी अच्छा जरिया

इस योजना के तहत गांव में रहने वाले युवा किसान जिनकी उम्र 18 से 40 साल है. वो ग्रामीण स्तर पर मिनी मृदा परिक्षण प्रयोगशाला की स्थापना कर सकते हैं.

सरकार इस प्रयोगशाला के लिए 3 .75 लाख रुपए सरकार दे रही है. अगर स्वयं सहायता समूह, कृषक सहकारी समितियां, कृषक समूह या कृषक उत्पादक संगठन इस प्रयोगशाला को स्थापित करता है तो उनको भी यह सहायता मिलेगी.

सरकार द्वारा मिट्टी नमूना लेने, परिक्षण करने एवं सॉइल हेल्थ कार्ड उपलब्ध कराने के लिए 300 रुपये प्रति नमूना प्रदान किया जा रहा है.

 

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ऐसे में आप अपने गांव स्तर पर एक प्रयोगशाला खोल सकते हैं, इससे आपको काफी अच्छी कमाई हो सकती है.

इस योजना के तहत 429 नई स्‍थायी मृदा जांच प्रयोगशालाएं, 102 नई चलती मृदा जांच प्रयोगशालाएं और 8,752 लघु जांच प्रयोगशालाएं उपलब्‍ध कराई गई हैं.

साथ ही इससे गांव स्‍तर पर भी मिट्टी की जांच करने के लिए कृषि उद्यमियों को प्रोत्‍साहित किया जा रहा है.

इस प्रयोगशाला से ना सिर्फ आप पैसे कमाते हैं, बल्कि आपके गांव की मिट्टी उन्नत किस्म की होती है. साथ ही किसान की पैदावार भी बढ़ती है.

 

कितना होता है खर्चा ?

वैसे इस तरह की कोई भी लैब स्थापित करने के लिए करीब 5 लाख रुपये का खर्चा होता है. लेकिन, इस योजना का फायदा लिया जाए तो आपको इसका 75 फीसदी पैसा सरकारी की ओर से मिलता है.

यानी सरकार आपको इसका 3.75 लाख रुपये देती है. इसके बाद आपको सिर्फ 1 लाख 25 हजार रुपये ही खर्च करने होंगे. लैब बनाने के इच्छुक युवा, किसान या अन्य संगठन जिले के कृषि उपनिदेशक, संयुक्त निदेशक या उनके कार्यालय में प्रस्ताव दे सकते हैं.

agricoop.nic.in वेबसाइट या soilhealth.dac.gov.in पर इसके लिए संपर्क कर सकते हैं.

 

कब हुई थी शुरुआत

मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 फरवरी, 2015 को राजस्‍थान के सूरतगढ़ में शुरू किया था. यह योजना देश के किसानों को मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड प्रदान करने के लिए राज्‍य सरकारों को मदद देती है.

इस कार्ड में मिट्टी की पोषण स्थिति और उसके उपजाऊपन की जानकारी सहित उर्वरक तथा अन्‍य पोषक तत्‍वों के बारे में सूचनाएं मौजूद होती हैं.

2015 से 2017 तक चलने वाले पहले चरण में किसानों को 1,10.74 करोड़ और 2017-19 के दूसरे चरण में 11.69 करोड़ मृदा स्वास्‍थ्‍य कार्ड प्रदान किए गए.

 

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source : tv9hindi.com

 

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