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मध्‍य प्रदेश में खाद की किल्लत को दूर करने के लिए नई कवायद

 

समितियों में नहीं होगा जरूरत से ज्यादा खाद का भंडार, ऑनलाइन दिखेगी स्थिति।

न्यूनतम दो टन खाद की उपलब्धता हर समय रखी जाएगी।

 

मध्य प्रदेश में कुछ सालों से खरीफ और रबी सीजन में होने वाली खाद की किल्लत को दूर करने के लिए शिवराज सरकार ने नई व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है।

इसके तहत अब किसी भी प्राथमिक साख सहकारी समिति को बिक्री के हिसाब से खाद का आवंटन किया जाएगा। मांग के आधार पर आपूर्ति पिछले सात दिन की बिक्री का लेखा-जोखा देखकर होगी।

 

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समितियों को हर समय दो टन खाद रखना अनिवार्य होगा ताकि किसानों को समस्या न हो। खाद की मांग और आपूर्ति संबंधी पूरी व्यवस्था ऑनलाइन रहेगी। इससे राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) को स्टॉक व उसमें कमी की जानकारी मिलेगी और वहां तत्काल आपूर्ति करवाई जाएगी।

 

खरीफ और रबी फसलों के क्षेत्र में वृद्धि होने के साथ खाद की मांग भी बढ़ती जा रही है। प्रदेश में सालभर में करीब 28 लाख टन यूरिया की खपत होती है।

सीजन पर किसान को खाद की कमी का सामना न करना पड़े और कालाबाजारी भी न हो, इसके लिए तय किया है कि खाद के भंडारण और विक्रय की पूरी व्यवस्था को ऑनलाइन किया जाएगा।

 

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सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव ने बताया कि सॉफ्टवेयर तैयार हो गया है। किसान और समितियों की जानकारी को एक-दूसरे से जोड़ा जा रहा है।

इससे राज्य स्तर पर यह पता रहेगा कि किस समिति के पास किस कंपनी की कितनी खाद उपलब्ध है। समिति ने खाद की जो मांग की है वह वाजिब है या नहीं। दरअसल, अभी कुछ समितियां आवश्यकता से अधिक खाद लेकर रख लेती हैं और कुछ में कमी बनी रहती है।

 

मांग और आपूर्ति के बीच इससे अंतर आता है और जब राज्य सरकार केंद्र से खाद की मांग करती है तो वह भंडार की स्थिति बताकर अतिरिक्त खाद देने से इन्कार कर देती है।

इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए तय किया है कि अब कोई भी समिति यूरिया की जब मांग करेगी कि तो उसके पिछले सात दिन की बिक्री का लेखा-जोखा देखा जाएगा। इससे पता लगेगा कि उसने कितनी खाद बेची और कितनी भंडार में है। इसके आधार पर ऑनलाइन ही मांग स्वीकार करके आपूर्ति की जाएगी।

 

निजी और सहकारी क्षेत्र में पचास-पचास फीसद रहेगी खाद

उधर, कृषि विभाग ने अब यूरिया वितरण व्यवस्था में यह बदलाव भी किया है कि निजी और सहकारी क्षेत्र को पचास-पचास फीसद खाद दी जाएगी। नवंबर 2020 तक सहकारी क्षेत्र में 70 और निजी क्षेत्र से 30 प्रतिशत यूरिया वितरण का निर्णय लिया गया था।

 

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source : naidunia

 

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