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मध्यप्रदेश में खाद खरीदने के लिए लागू होगा नया सिस्टम

 

फसल सीजन शुरू होने के पहले करना होगा बुक

 

पहले लेना होगा e-voucher

 

मध्यप्रदेश में किसानों को समय पर और पात्रता अनुसार खाद (यूरिया, डीएपी सहित अन्य) मिल जाए, इसके लिए शिवराज सरकार अब एक नया प्रयोग करने जा रही है।

इसके तहत किसी भी फसल का सीजन प्रारंभ होने के पहले इन ही किसानों को सब्सिडी की राशि के डिजिटल वाउचर या ई-रुपी दे दिए जाएंगे।

इससे किसान अपने हिस्से की हि खाद पात्रता अनुसार ले सकेंगे।

सहकारिता और कृषि विभाग पहले एक जिले में पायलट प्रोजेक्ट चलाएगा।

 

इसके जरिये सरकार को यह पता रहेगा कि जिस किसान के नाम पर खाद बेची जा रही है वह वास्तविक हितग्राही है या नहीं।

वहीं, सहकारी समितियों के हिसाब-किताब की पड़ताल भी हो जाएगी।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने और गड़बड़ियों पर अंकुश लगाने के लिए डिजिटल भुगतान प्रणाली ई-रुपी की व्यवस्था को हाल ही में शुरू किया है।

पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खाद आपूर्ति के संबंध में केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया से मिले थे।

 

पहले प्रदेश के 1 जिले में करेंगे लागू

इस दौरान उन्होंने सुझाव दिया था कि प्रदेश केंद्र सरकार की ई-रुपी वाउचर योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर खाद खरीदी के लिए एक जिले में लागू करे।

मुख्यमंत्री ने इस पर सहमति जताई और उसके आधार पर कृषि और सहकारिता विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है।

विभाग के अपर मुख्य सचिव – अजीत केसरी ने बताया कि केंद्र सरकार किसानों को खाद पर काफी अनुदान (सब्सिडी) देती है।

प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों से किसानों को स्वीकृत साख (ऋण) सीमा के आधार पर खाद दी जाती है।

जो कुल ऋण स्वीकृत होता है, उसमें 25 फीसद हिस्सा वस्तु के तौर पर मिलता है और बाकी राशिनकद मिल जाती है।

वस्तु के रूप में किसान खाद लेते हैं।

 

वाउचर मोबाइल पर भेजा जायगा जिसे स्कैन करने पर समिति किसान को खाद देगी

जानकारी के मुताविक नई व्यवस्था में किसान को उसकी पात्रता के अनुसार वाउचर( e-rupi ) जारी करके मोबाइल पर भेजा जाएगा।

जब वह खाद लेने के लिए समिति में जाएगा तो उसे वह सेल्समैन को वताएगा।

संदेश स्कन करने पर पात्रता का पता चल जाएगा और उसे खाद दे दी जाएगी।

यह वाउचर लाभाथीं किसी को हस्तांतरित नहीं कर पाएगा।

इससे गड़बड़ी की आशंका समाप्त होगी और यह सुनिश्चित हो सकेगा कि जिस किसान की जितनी पात्रता है, उतनी ही खाद दी गईया नहीं।

वास्तविक किसान को ही लाभ मिलेगा।

 

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source : naidunia

 

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