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ये हैं पपीता की सबसे बेहतरीन किस्में

 

पैदावार इतनी कि किसान हो जाएंगे मालामाल

 

लगभग 10 से 13 महीने में तैयार होने वाली केले की फसल का बीज जुलाई से सितंबर या फिर फरवरी-मार्च के बीच लगा देते हैं.

इधर के कुछ वर्षों में पपीते की खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ा है ये आय बढ़ाने का एक बेहतरीन जरिया बनता जा रहा है.

 

सितंबर का महीना पपीते की खेती (Papaya Farming) शुरू करने का सबसे सही समय कहा जाता है.

ये समय बीज बोने का होता है. ऐसे में किसान शुरू में ही सही बीजों का चयन कर पैदावार के साथ-साथ अपना मुनाफा भी बढ़ा सकते हैं.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)-भारतीय बागवान अनुसंधान संस्थान बेंगलुरु भी पपीते की बेहतरीन किस्मों के बारे में बताता रहता है.

किसान वहां से भी अपनी सुविधानुसार बीजों का चुनाव कर सकते हैं.

 

लगभग 10 से 13 महीने में तैयार होने वाली केले की फसल का बीज जुलाई से सितंबर या फिर फरवरी-मार्च के बीच लगा देते हैं.

इधर के कुछ वर्षों में पपीते की खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ा है ये आय बढ़ाने का एक बेहतरीन जरिया बनता जा रहा है.

सही किस्म का चुनाव करके मुनाफा और भी बढ़या जा सकता है.

आइये देखते हैं पपीते की बेहतरीन किस्में कौन सी हैं और उनकी खासियत क्या है.

 

अर्का प्रभात

अर्का प्रभात पपीते की सबसे बेहतरीन किस्मों में से एक है. यह उभयलिंगी प्रकृति की किस्म है.

कम लंबाई (60-70 सेमी). पर ही इसमें फल लगने लगते हैं. यह उभयलिंगी है, इसलिए इसका बीज-उत्पादन करना आसान है.

इसके फल का औसतन वजन 900-1200 ग्राम तक होता है और गुणवत्ता अच्छी होती है.

 

अर्का सूर्या

ये भी उभयलिंगी प्रकृति का होता है. इसका छिलका मुलायम होता है, पकने पर इसका रंग समान रूप से पीला होता है.

इसके फलों का आकार मध्यम तथा वजन लगभग 600 से 800 ग्राम होता है, इसमें थोड़ी मात्रा में कैवेटी होती है.

इसकी टिकाऊपन गुणवत्ता अच्छी है. प्रति पेड़ उपज लगभग 55 से 65 किग्रा (60 एवं 65 टन प्रति एकड़) होती है.

 

रेड लेडी

ये पपीते की सबसे प्रचलित किस्म है. इसके फल का वजन फल का वजन 1.5-2 किग्रा तक होता है और इसका स्वाद लोगों को बहुत पसंद आता है.

 

वाशिंगटन

पपीते की ये किस्म भी किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है.

इसके फल का वजन फल का वजन 1-1.5 किग्रा तक होता है और रंग गहरा पीला होता है.

एक पेड़ से कम से कम 60 किलो तक फल निकलता है.

 

कुर्ग हनीड्यू

यह बैने प्रजति की किस्म है. फल की औसतरन वजन 1.5-2.0 किलोग्राम होता है.

फल लंबा और अंडाकार होते हैं. पकने पर रंग पीला हो जाता है.

प्रति पेड़ पैदावार लगभग 70 किलो है.

 

पूसा जायन्ट

इसके तनेबहुत मजबूत होते हैं. आंधी-तूफान झेलने में सक्षम. फल बड़े आकार के 2.5 से 3.0 किलोग्राम औसत वजन के होते हैं.

प्रति पौधा औसत उपज 30 से 35 किलोग्राम तक होती है. इसका सबसे ज्यादा प्रयोग पेठा और सब्जी बनाने में किया जाता है.

 

पूसा डेलिशियस

पौधे ज्यादा बड़े नहीं होते लेकिन फल खूब देते हैं.

औसत उपज 58 से 61 किलोग्राम प्रति पौधा तक होती है और एक फल का औसत वजन 1.0 से 2.0 किलोग्राम तक होता है.

 

पूसा ड्वार्फ

इस प्रजाति के पौधे छोटे होते हैं, जैसा नाम से ही प्रतीत हो रहा है. फल अंडाकार होते हैं जिसका वजन 1.0 से 2.0 किलोग्राम तक होता है.

पैदावार 40 से 50 किलोग्राम प्रति पौधा है. सघन बागवानी के लिए सबसे बेहतरीन किस्म है.

 

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