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कभी करती थीं मजदूरी अब हैं सफल महिला किसान

 

अपने क्षेत्र की ये एक सफल महिला किसान हैं, जो घर में जैविक खाद बनाने से लेकर बाजार में सब्जी बेचने तक का काम खुद करती हैं।

 

पश्चिम सिंहभूमि (झारखंड)।

सुदूर पहाड़ी क्षेत्र के जंगलों में रहने वाली आदिवासी महिला किसान गुलबरी गो अपने खेत में लहलहाती फसल को देखकर मुस्कुरा रही थी, “सोचा नहीं था कि लीज पर खेती लेकर अच्छी खेती कर पाएंगे। अब तो हर दिन सब्जी बेचकर 1500 रुपए की आमदनी हो जाती है।”

 

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खेती के आधुनिक तौर-तरीके सीखकर गुरबरी गो ने पिछले साल अपने 15 डिसमिल (0.15 एकड़) खेत में मचान विधि से सहफसली खेती की थी, जिससे इनको 60 हजार रुपए की आमदनी हुई।

अपने क्षेत्र की ये एक सफल महिला किसान हैं, जो घर में जैविक खाद बनाने से लेकर बाजार में सब्जी बेचने तक का काम खुद करती हैं। गुरबरी गो लीज पर खेती लेकर अपनी आमदनी को मजबूत कर रही हैं।

जो अब इनकी आजीविका का सशक्त माध्यम बन गया है। इससे पहले ये जंगल से लकड़ी बेचकर अपने बच्चों को पालती थी लेकिन अब सफल सब्जी विक्रेता हैं।

 

झारखंड के पश्चिम सिंहभूमि जिले के खूंटपानी ब्लॉक से 10 किलोमीटर दूर बारीपी गाँव की रहने वाली गुरबरी गो (30 वर्ष) मचान विधि से अपने खेत में करेले की फसल दिखाते हुए बताती हैं, “पहले इस खेत में ज्यादा कुछ पैदा नहीं होता था, बरसात में एक बार धान लगा देते थे, लेकिन जबसे मैं खेती की ट्रेनिंग करके आई हूँ, तबसे मचान विधि से सब्जी की खेती करने लगी हूँ।

इसी खेत में पिछले साल श्री विधि से धान लगाया जो छह कुंतल हुआ।” गुरबरी गो जैविक खाद देसी तौर-तरीकों से खुद बनाती हैं इसलिए कम जमीन में भी अच्छा मुनाफा ले रही हैं।

 

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गुरबरी गो के पास बहुत ज्यादा खेत नहीं हैं, लेकिन ये लीज पर खेत लेकर आधुनिक तौर-तरीकों से खेती करने लगी हैं, जिससे इनके घर का खर्च आसानी से चलने लगा है।

देश भर में ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सरकार की महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना चल रही है।

इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य महिला किसानों को खेती के आधुनिक तौर-तरीके सिखाना हैं, जिससे इनकी लागत कम की जा सके और आय में इजाफा किया जा सके।

 

प्रशिक्षण में मिली नई-नई जानकारी

जब 2015 में ये सखी मंडल की हिस्सा बनी तो बैठक में हफ्ते के 10 रुपए बचत के जमा करने लगीं। गुरबरी गो ने बताया, “बैठक में जब जानकारी बढ़ी तो समूह से कर्ज ले लिया, उसी पैसे से कुछ खेत लीज पर लिए और पानी के इंतजाम के लिए पम्प खरीदा।

खेती की दो तीन बार ली, ट्रेनिंग में जैविक खेती के साथ कम लागत में श्री विधि और मचान विधि से खेती कैसे की जाती ये जाना।”

 

हर दिन 1500 रुपए की आमदनी

गुरबरी आगे बताती हैं, “ट्रेनिंग के बाद पिछले साल से ही खेती करने की अच्छे से शुरुआत की। पंद्रह डिसमिल खेत में मचान से लेकर बुवाई तक 15 हजार रुपया खर्चा आया।

करेला, लुबिया और भिंडी को बेचकर हर दिन 1500 रुपए की आमदनी हो जाती थी। श्री विधि से धान की पैदावार अलग से हुई जिससे सालभर धान नहीं खरीदनी पड़ी।”

 

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source : gaonconnection.com

 

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