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अब मामूली सा टिंडा आपको बनाएगा मालामाल

 

टिंडे की खेती

 

क्या आपको भी अप्रैल के महीने में फसलों को बोना है?

क्या आप भी किसी ऐसी खेती की चाहत रख रहे हैं जिससे आपको मुनाफा मिल सके?

तो आज हम टिंडे की खेती और उसके प्रति एकड़ मुनाफे की बात करने वाले हैं.

 

जैसे-जैसे अप्रैल का महीना शुरू होने वाला है वैसे-वैसे गर्मी की फसलें लगाने का समय नज़दीक आता जा रहा है.

ऐसे में जिन भी किसान भाइयों को अपने खेतों में गर्मी की फसल का चुनाव करना है वो टिंडे की खेती को अपना सकते हैं.

तो बिना देरी किये आइये जानते हैं टिंडे की खेती के बारे में.

 

टिंडे की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु

  • आपकी जानकारी के लिए बता दें कि टिंडे की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की जरूरत होती है.
  • जिसका पीएच 5-7.5 के बीच होना सबसे उपयुक्त है.
  • इस फसल को मध्यम गर्म तापमान की आवश्यकता होती है.
  • टिंडा हल्की या रेतीली मिट्टी पसंद करते हैं, जहां इसकी जड़ें आसानी से प्रवेश कर सकें.
  • टिंडा की खेती मुख्य रूप से समुद्र तल से लेकर लगभग 1000 मीटर की ऊंचाई तक के निचले इलाकों में की जाती है.
  • यह दिन में 25-30 डिग्री सेल्सियस और रात के दौरान 18 डिग्री सेल्सियस या अधिक की गर्म, धूप वाली परिस्थितियों में उग सकता है.
  • भारत में यह या तो शुष्क मौसम (फरवरी से अप्रैल के अंत तक) या बरसात के मौसम (मध्य जून से जुलाई के अंत तक) में उगाया जाता है.

टिंडे की खेती के लिए भूमि की तैयारी

  • खेत के लिए जुताई करें और 5 मीटर की दूरी पर लंबे चैनल बनाएं.
  • बीज सीधे मेड़ों पर या समतल भूमि पर बोया जाता है, जब मिट्टी को मैन्युअल रूप से जुताई, हैरो या रिडिंग द्वारा तैयार किया जाता है.
  • टिंडे 2-3 सेमी की गहराई पर बोए जाते हैं, जिसमें लगभग 90 सेमी x 150 सेमी की दूरी हो.
  • टिंडा की खेती प्रति हेक्टेयर लगभग 10,000 से अधिक उपज दे सकती है.

 

टिंडे की खेती का बीज दर

प्रति एकड़ औसतन 500-700 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है.

 

टिंडे की खेती के लिए बीज उपचार

बुवाई से पहले टिंडा के बीजों को ट्राइकोडर्मा विराइड 4 ग्राम या स्यूडोमोनास, फ्लोरोसेंस 10 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज से उपचारित किया जाता है.

 

टिंडे की खेती के बाद के काम

खरपतवारों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए तीन बार निराई-गुड़ाई की जाती है.

बुवाई के 6-8 सप्ताह में प्राप्त होने वाली मिट्टी को तने से ढकने से पहले एक या दो निराई की आवश्यकता होती है.

इस चरण से, पौधों को नुकसान पहुंचाने से बचने के लिए फसल में हलचल कम से कम होनी चाहिए.

 

टिंडे की खेती की सिंचाई

लंबे समय तक सूखे की स्थिति में जुताई से पहले सिंचाई की आवश्यकता होती है.

शुष्क मौसम के दौरान प्रति सप्ताह 2-3 बार पानी देने की सलाह दी जाती है.

टिंडे की कटाई कब करें

Tinda की कटाई लगभग परिपक्व हरी अवस्था में की जाती है जब फल का व्यास 10-12 सेमी होता है और टिंडा नरम होता है.

source : krishijagranhindi

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