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अब नहीं है डरने कि जरुरत, लम्पी स्किन रोग की वैक्सीन हुई लांच

लम्पी स्किन रोग की वैक्सीन

 

अभी देश में राजस्थान और गुजरात समेत 10 राज्यों में गाय भैंस में जानलेवा लंपी वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है।

जहां लाखों पशु इस रोग की चपेट में आ गए हैं, वहीं हज़ारों पशुओं की मृत्यु भी इस रोग से हो चुकी है। इस बीच किसानों के लिए काफ़ी राहत भरी खबर आई है।

देश के पशुधन के लिए बड़ी राहत प्रदान करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पशुओं को लम्पी स्किन रोग से बचाव हेतु स्वदेशी वैक्सीन (लम्पी– प्रो वैक–इंड/ Lumpi-ProVac-Ind) लांच की।

यह वैक्सीन राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार (हरियाणा) ने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर (बरेली) के सहयोग से बनाई है।

इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने इस वैक्सीन को लम्पी बीमारी के निदान के लिए मील का पत्थर बताते हुए कहा कि मानव संसाधन के साथ ही पशुधन हमारे देश की बड़ी ताकत है, जिन्हें बचाना हमारा बड़ा दायित्व है।

 

लम्पी स्किन रोग पर शत-प्रतिशत कारगर है वैक्सीन

कृषि मंत्री ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत यह वैक्सीन विकसित करके एक और नया आयाम स्थापित किया गया है।

उन्होंने अश्व अनुसंधान केंद्र व पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों को बधाई दी, जिनके प्रयासों से लम्पी रोग के टीके को विकसित किया गया है।

2019 में जब से यह बीमारी भारत में आई, तब से ही संस्थान वैक्सीन विकसित करने में जुटे थे।

कृषि मंत्री ने प्रसन्नता जताते हुए कहा की वैज्ञानिकों ने इस चुनौती को स्वीकार किया और अल्पावधि में, सीमित परीक्षण में सभी मानक स्तर पर शत-प्रतिशत कारगर वैक्सीन विकसित की है, जो लम्पी बीमारी से निजात दिलाने में असरकारी होगी।

 

किसान इस तरह बचाएँ पशुओं को लम्पी स्किन रोग से

पशुओं को इस रोग से बचाने के लिए संक्रमित पशु को स्वस्थ पशु से तत्काल अलग करें।

संक्रमित क्षेत्र में बीमारी फैलाने वाले मक्खी-मच्छर की रोकथाम के लिये आवश्यक कदम उठायें।

संक्रमित क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों में पशुओं का आवागमन प्रतिबंधित करें।

संक्रमित क्षेत्र के बाजार में पशु बिक्री, पशु प्रदर्शनी, पशु संबंधित खेल आदि पर पूर्णत: प्रतिबंध लगायें।

पशु का सेम्पल लेते समय पीपीई किट सहित सभी सुरक्षात्मक उपाय अपनायें।

संक्रमित पशु प्रक्षेत्र, घर आदि जगहों पर साफ-सफाई, जीवाणु एवं विषाणुनाशक रसायन का प्रयोग करें।

रोग के लक्षण दिखने पर तुरंत ही अपने नज़दीकी पशु चिकित्सालय में या पशु चिकित्सक से सम्पर्क करें।

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