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पोषक और तेजस प्रजाति के गेहूं का रकबा बढ़ा

 

गेहूं का रकबा बढ़ा

 

खेती-किसानी समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए जिले में सर्वाधिक पंजीयन बदनावर में

 

रबी की मुख्य फसल गेहूं की कटाई का दौर प्रारंभ हो चुका है। मंडी में भी नए गेहूं आना प्रारंभ हो चुके हैं।

इसके शुरुआती भाव 1925 से 2201 रुपये प्रति क्विंटल हैं जबकि सरकार द्वारा समर्थन मूल्य 2015 रुपये निर्धारित किया गया है।

 

 

पंजीयन प्रक्रिया पांच मार्च तक चलेगी तथा 20 मार्च के बाद ही उपार्जन प्रारंभ हो पाएगा। पांच फरवरी से शुरू हुए पंजीयन कार्य में पिछले 11 दिन में तीन हजार 503 किसानों ने पंजीयन करवा लिए हैं, जो जिले में सर्वाधिक है।

इधर, तेजस और पोषक प्रजाति के गेहूं इस बार बड़े रकबे में बोए गए हैं। धार जिले में सर्वाधिक गेहूं बदनावर तहसील में ही बोया जाता है।

इस बार सिंचाई की व्यवस्था अच्छी होने से इसके रकबे में भी वृद्धि हुई है। कुल 49 हजार हेक्टेयर के रकबे में गेहूं बोया गया है।

क्षेत्र में सर्वाधिक किसान लोकवन प्रजाति के गेहूं बोते हैं। इस जिंस की खोज 1979 में हुई थी। कोई भी जिंस 30 साल की मियाद रखती है।

इस मान से 2009 में ही लोकवन प्रजाति तीन दशक पूर्ण कर चुकी है, लेकिन इसके विकल्प में अभी कोई ऐसी प्रजाति नहीं आई है, जो किसानों को लुभा सके।

इस कारण अभी भी किसान लोकवन प्रजाति पर ही भरोसा करते हैं। हालांकि मालवराज को अपग्रेड कर तेजस प्रजाति बनाई गई है।

इसकी डिमांड भी अधिक है। इसलिए अब तेजस और पोषक प्रजाति के गेहूं के प्रति भी किसानों का रुझान बढ़ा है और इस बार बड़े रकबे में इन प्रजाति के गेहूं बोए गए हैं।

 

खाने में लोकवन का ज्यादा इस्तेमाल

तुलनात्मक रूप से देखें तो लोकवन गेहूं तेजस व पोषक की तुलना में खाने के लिए ज्यादा प्रयुक्त किए जाते हैं जबकि अन्य मिल क्वालिटी का गेहूं होकर दलिए में इसका ज्यादा उपयोग किया जाता है।

हालांकि लोकवन की तुलना में इसका उत्पादन ज्यादा होता है, लेकिन बाजार में भाव लोकवन के ज्यादा मिलते हैं।

इस कारण सरकारी खरीदी में तेजस व पोषक गेहूं को अधिक मात्रा में तोला जाता है।

न दोनों के अलावा मालवराज, उषामंगल, के पूर्णा भी कुछ हिस्से में बोए गए हैं।

खाने के लिए सुजाता गेहूं को सर्वोत्तम माना जाता है, लेकिन बदनावर क्षेत्र के इक्का-दुक्का किसान ही इसे बोते हैं।

समीपवर्ती रतलाम में सुजाता का अच्छा रकबा है। रतलाम बड़गांवा, ढिकवा, धतुरिया, चौराना आदि गांव में सुजाता बहुतायत में लगाया जाता है।

इसके लिए मालवांचल में रतलाम मंडी गेहूं के लिए सर्वाधिक प्रसिद्ध है।

 

25 मुख्य व सहायक केंद्र पर होगी खरीदी

सरकारी उपार्जन में लगभग 40 दिन का समय बचा है। तब तक 80 फीसद गेहूं फसल कट जाएगी।

पोषक व तेजस गेहूं बोने वाले किसान तुरंत ही सरकारी उपार्जन केंद्रों में बिक्री के लिए चले जाते हैं. क्योंकि 9 गत वर्ष हुए मावठे के कारण कई किसानों को नुकसान हुआ था।

इस वर्ष तहसील में उपार्जन के लिए 25 मुख्य व सहायक केंद्र बनाए गए हैं, क्योंकि एक किसान का दो से पांच दिन में नंबर आता है।

ऐसे में उपार्जन केंद्रों के बाहर ट्रैक्टर ट्रालियों की लंबी कतार लग जाती है। इसे देखते हुए आवश्यकता लगभग 40 केंद्रों की होती है।

गत वर्ष कुल 14 हजार 408 लोगों ने समर्थन मूल्य पर उपज बिक्री के लिए पंजीयन करवाया था। इसमें से 14 हजार 206 पंजीयन गेहूं के थे।

इस वर्ष अभी तक साढ़े तीन हजार किसानों ने पंजीयन करवाया है, जो जिले में अभी तक सर्वाधिक है।

 

मालवा का गेहूं ले जाते हैं पंजाब के किसान

देखा जाए तो गेहूं उत्पादन में पंजाब देश का अग्रणी राज्य है, लेकिन गुणवत्ता के मामले में मात्र के मालवा के आगे वह कुछ भी नहीं है।

पंजाब से हार्वेस्टर लेकर आने वाले कई किसान भी मालवा से ही गेहूं लेकर जाते हैं।

एक बार जो भी मालवा के गेहूं का स्वाद चख लेता है, उसे किसी और राज्य का गेहूं पंसद नहीं आता है।

source : naidunia

 

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