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डिमांड में रहने वाले ऑर्किड फूल की खेती

 

अब भोपाल में भी हो रही

 

ऑर्किड फूल अमूमन डेकोरेशन के काम आता है. ये ब्लू और सफेद कलर का होता है.

वैसे तो ये फूल पुणे और दूसरे ठंडे इलाकों से आता है, लेकिन शॉर्टेज होने पर इसे हॉलैंड से इंपोर्ट किया जाता है.

 

वो फूल जो शादी और त्योहारी सीजन में पूरे देश में सबसे ज्यादा डिमांड में होता है, उसकी खेती अब भोपाल में भी हो रही है.

ऑर्किड फूल की खेती करने वाले देश के चुनिंदा किसानों में जय कुशवाहा का नाम भी शुमार हो गया है.

जय कुशवाहा करीब 22 एकड़ में फूलों की खेती करते हैं. इसमें से 1.5 एकड़ में अब ऑर्किड फूल की खेती की जा रही है.

 

जय कुशवाहा ने बातचीत में जानकारी दी कि आखिर क्यों इस फूल की खेती आसान नहीं होती.

क्या आप जानते हैं कि ये फूल नारियल की जटाओं में ही पैदा होता है. इसके लिए पहले जमीन तैयार करनी पड़ती है.

सबसे पहले नारियल की जटाओं को पानी में भिगोकर छोड़ना पड़ता है.

कई महीनों की प्रक्रिया के बाद ये जटाएं सॉफ्ट होती हैं और उसमें कई तरह के फर्टिलाइजर डाल कर उसे मिट्टी जैसा कर दिया जाता है. इसके बाद इन जटाओं में क्रॉप लगाई जाती है.

पूरे सिस्टम को तैयार होने में 1.5 से 2 साल का वक्त लगता है. फूल आते आते 2 से 2.5 साल का समय लग जाता है.

 

एक एकड़ में आता है 60 लाख रुपए का खर्च

ये खेती काफी महंगी है, एक एकड़ में प्लांटेशन करने में करीब 60 लाख रुपए तक का खर्च आता है.

वैसे तो ये फूल पुणे और दूसरे ठंडे इलाकों से आता है, लेकिन शॉर्टेज होने पर इसे हॉलैंड से इंपोर्ट किया जाता है.

पीक सीजन में इसकी कीमत 500 रुपए बंडल (12 फूल) तक जाती है.

हालांकि भोपाल में खेती शुरू होने से दाम कम हो रहे हैं और फिलहाल 300 रुपए बंडल के हिसाब से ये बिक रहा है.

भोपाल की बात करें तो सीजन में यहां करीब 1500 बंडल सप्लाई होते हैं.

 

ऑर्किड फूल अमूमन डेकोरेशन के काम आता है. ये ब्लू और सफेद कलर का होता है.

जय कुशवाहा के परिवार को फूलों की खेती करते हुए कई साल हो चुके हैं.

फूलों की खेती करते हुए जय के परिवार को 25 साल हो चुके हैं.

 

विदेश पर निर्भरता होगी खत्म

जय बड़े पैमाने पर जरवेरा फूल की भी खेती करते हैं. जरवेरा लाल मोरंग में पैदा होता है.

जिसके लिए गोबर की खाद और चावल की भूसी आवश्यक है. फॉर्मलीन ट्रीटमेंट के बाद इसका फूल आता है.

 

जय का कहना है कि खेती उनका शौक ही नहीं बल्कि पैशन है. वो फूलों की खेती में कई तरह के एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं.

जय बताते हैं कि जो फूल हॉलैंड से अमूमन इंपोर्ट होता है, उसकी खेती यहीं भारत में होने लगी है.

उम्मीद है कि आने वाले दिनों में फूलों के मामले में विदेश पर निर्भरता भी खत्म होगी.

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