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किसानों की आय बढ़ाने के लिए जैविक खेती और दलहनी फसलों को दिया जाएगा बढ़ावा

 

जैविक खेती और दलहनी फसलों को दिया जाएगा बढ़ावा

 

मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कृषि विभाग के अधिकारियों से कहा कि वो प्रदेश की इथेनॉल पॉलिसी की तरह कृषि क्षेत्र में भी नीतियां तैयार कर इनोवेशन को बढ़ावा दें.

 

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि विभाग के अधिकारियों से कहा है कि वो प्रदेश में खेती के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिए पूरी मुस्तैदी से कार्य करें.

किसानों की आमदनी बढ़ाने और खेती को लाभ का काम बनाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से प्रयास किए जाएं.

जैविक खेती एवं दलहनी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए.

चौहान बृहस्पतिवार को मंत्रालय में आत्म-निर्भर मध्य प्रदेश के रोडमेप के तहत गठित मंत्री समूह की अंतर्विभागीय बैठक ले रहे थे.

 

कृषि उत्पादों का अधिक निर्यात करें

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कृषि उत्पादों का अधिक से अधिक निर्यात करने के लिए उत्पादन को बढ़ाएं.

जैविक खेती के लिए माहौल तैयार कर किसानों को प्रोत्साहित करें. फसलों के उत्पादन एवं विक्रय के लिए गंभीरता से प्रयास करें.

फसलों के विविधीकरण एवं सामाजिक वानिकी जैसे माध्यमों से उत्पादन को बढ़ाया जाए.

 

खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए विशेषज्ञों की राय लें

सीएम ने कहा कि खेती को लाभ का काम बनाने के लिए विशेषज्ञों की राय लेकर मंत्री समूह का प्रस्तुतिकरण तैयार करें.

इसके बाद निर्धारित कार्य-योजना में किसानों को खेती करने के तरीकों के बारे में समझाया जाए.

उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को विकल्प उपलब्ध कराने की कार्य-योजना भी बनाई जाए.

प्रदेश में सहकारी समितियों को फायदे में लाने के लिए कार्य-योजना बनाकर व्यवस्था में आवश्यक सुधार किए जाएं.

 

चौहान ने यह भी कहा कि सहकारी बैंकों में समिति प्रबंधकों आदि की पर्याप्त व्यवस्था की जाए.

प्रदेश की इथेनॉल पॉलिसी की तरह कृषि के क्षेत्र में विभिन्न नीतियां तैयार कर नवाचार को बढ़ावा दिया जाए.

इस मौके पर किसान-कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल, उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस सहित कई विभागों के अधिकारी मौजूद रहे.

 

नस्ल सुधार के हों प्रयास

एक अन्य बैठक में मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में गौ-वंश एवं नंदी की नस्ल सुधार के विशेष प्रयास किए जाएं.

उन्होंने ज्यादा दूध देने वाले गौ-वंश पर अनुसंधान करने के निर्देश दिए. गौ-उत्पादों के विक्रय के लिए विशेष व्यवस्था बनाने एवं अधिकाधिक प्रचार-प्रचार करने के निर्देश दिए.

 

उन्होंने कहा कि गौ-फिनायल का उपयोग शासकीय कार्यालयों में किया जाए. गौ-ग्रास के लिए कर लगाने संबंधी योजना तैयार करें.

साथ ही जन-भागीदारी को भी बढ़ावा दिया जाए. उन्होंने बताया कि प्रदेश में 20वीं पशु संगणना के अनुसार 01 करोड़ 87 लाख 50 हजार गौ-वंश हैं.

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