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जैविक गुड़ ने बढ़ाई मुनाफे की मिठास

 

अधिकांश गन्ना उत्पादक किसान अपनी गन्ना फसल को सीधे शकर कारखाने भेज देते हैं ,

 

लेकिन महेश्वर के पास स्थित ग्राम बड़वी के जैविक किसान श्री भगवान सालुंके ने जब से अपने खेत में गन्ने से गुड़ बनाकर बेचना शुरू किया है , तब से इस गुड़ ने उनके मुनाफे की मिठास को और बढ़ा दिया है l

 

श्री भगवान सालुंके ने बताया कि अपनी 6 बीघा ज़मीन में विगत 5 -6 वर्षों से जैविक खेती करते हैं l शुरुआत सब्जियों से हुई जो केला , पपीता से आगे बढ़ते हुए गन्ना तक पहुँच गई l पहले गन्ने का रस बेचते थे lपिछले साल गन्ने की हाइब्रिड किस्म शिवाजी -85 को एक बीघे में लगाया था , जिससे 10 क्विंटल गुड़ बना था l इस गुड़ को 100 रु. किलो के भाव से बेचा l लागत काटकर 70 हज़ार का शुद्ध मुनाफा हुआ l

 

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इस वर्ष आधा बीघा रकबा और बढ़ा दिया है l गुड़ मीठा और स्वादिष्ट होने तथा मात्रा के बजाय गुणवत्ता को प्राथमिकता देने से पुराने ग्राहकों के अलावा नए ग्राहकों की भी मांग अच्छी बनी रहती है l इनका गुड़ इंदौर , भोपाल, उज्जैन, रतलाम, धार के अलावा महाराष्ट्र भी जाता है l ऑन लाइन आर्डर भी मिलते हैं l

 

काकमी के जार भी बेच रहे है 

श्री सालुंके गन्ने की राब (जिसे स्थानीय लोग काकमी कहते हैं ) भी जार में पैक कर 100 रु. किलो में बेचते हैं l इसका रोटी , चावल के साथ या दूध में डालकर उपयोग किया जाता है l यही नहीं वे जल्द ही 20 -25 ग्राम की गुड़ की अदरक , हल्दी ,इलायची आदि स्वाद वाली छोटी कैंडी भी बनाएँगे l उनका कहना है कि किसानों को कारखानों में बेचा गन्ना खर्च काटकर 220 रु. क्विंटल पड़ता है , जबकि औसतन 1 क्विंटल गन्ने से 8 -10 किलो गुड़ बन जाता है , जो फायदेमंद है l

 

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अभी उन्होंने पुराने देसी (गुलाबी )गन्ने की चुपाई कर दी है , जिसे जनवरी -फरवरी में हल्दी निकालने के बाद लगा दिया जाएगा l उन्नत किसान श्री सालुंके के सपने बड़े हैं , वे अपने ही ब्रांड के साथ अपने दक्ष जैविक कृषि फार्म के उत्पाद बेचना चाहते हैं l इसके लिए उन्होंने एफएसएसआई का नंबर भी ले लिया है l

 

source : krishakjagat

 

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