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2 से 2.5 लाख रुपए महीना कमाते हैं परमार

 

2 से 2.5 लाख रुपए महीना कमाते हैं पटलावदा के परमार 

आज हम डेयरी के सुल्तान देवेन्द्र की सफलता की कहानी बता रहे हैं। सिर्फ कक्षा 8वीं तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद पढ़ाई छोडक़र व्यवसाय की ओर ध्यान आकर्षित किया और डेयरी व्यवसाय में किस्मत आजमाने की सोचने वाले युवाओं के सामने मिसाल बन चुके श्री परमार ने छोटे स्तर से शुरु कर अपने डेयरी फार्म को धीरे-धीरे बढ़ाया और वो आज हर महीने इससे दो से ढाई लाख रुपये कमाते हैं।

किसानी करने की बजाए डेयरी खोलने की ठानी

श्री परमार के परिवार का मुख्य व्यवसाय कृषि था पिताजी खेती तो करते थे मगर उससे आमदनी कम और खर्च अधिक होता था इनके पास 9 बीघा जमीन है। जमीन से आज की महंगाई को देखते हुए गुजारा नहीं होता इसलिये इन्होंने 9 बीघा जमीन पर डेयरी फार्म हाउस बनाया इसमें लगभग 50 से 60 लाख रुपये खर्च हुआ।

इनके पास आज अपने डेयरी फार्म पर लगभग 100 पशु और इसमें 60 गाय, गायों में गिर, देशी, जर्सी, एचएफ भैंस की संख्या 15 है जिसमें मुर्रा, जाफराबादी और छोटे बछड़े लगभग 50 है।

 

रोजाना 300 लीटर तक दूध उत्पादन

डेयरी में गाय-भैंस रोजाना औसतन लगभग 25 से 30 लीटर दूध देती है, श्री परमार के मुताबिक उनकी डेयरी में रोजाना 200 से 300 लीटर के बीच दूध का उत्पादन होता है। पहले श्री परमार इस दूध को शुजालपुर के पास की कालोनियों में लोगों तक पहुंचाते थे लेकिन अब वो सारा दूध सांची दुग्ध उत्पादक सहकारी संस्था को जाता है।

उन्हें भैंस के दूध का 45 रुपये लीटर और गाय के दूध को 35 रुपये प्रति लीटर दाम मिल जाता है। यानी महीने में लगभग 2 से 2.5 लाख रुपये का दूध बिक जाता है और उन्हें सारा खर्च निकाल कर लगभग 1 लाख बीस हजार रुपये बच जाता है।

इतना ही नहीं श्री परमार डेयरी से निकलने वाले गोबर की खाद बनाकर बड़ी मात्रा में इसे बेच भी देते है, एक ट्राली गोबर की खाद का करीब 2 से ढाई हजार रुपये मिल जाता है। महीने में लगभग 20 से 22 ट्राली खाद बन जाती है। इसे बेचकर लगभग 45 से 50 हजार रुपये कमा लेते है।

 

कड़ी मेहनत हो तो डेयरी से अच्छा धंधा कोई नहीं

करीब तीन-चार वर्षों से सफल डेयरी का संचालन कर रहे श्री परमार का कहना है कि जो व्यक्ति काम करने से नहीं थकता है उसी को डेयरी खोलनी चाहिये डेयरी फार्मिंग में मेहनत तो बहुत है लेकिन इसे करने से आत्म संतुष्टि भी मिलती है।

अपना ब्रांड लॉन्च करेंगे

श्री परमार ने बताया कि अब उनका ध्यान डेयरी विस्तार पर है और इसके लिये पशुओं की संख्या बढ़ाने की योजना है। बाजार में शुद्ध डेयरी उत्पादों की काफी डिमांड है और इसे पूरा करने के लिये वे जल्द ही अपनी डेयरी पर छाछ, दही, पनीर, लस्सी और देशी घी बनाने की योजना पर भी काम कर रहे हैं।

पशुओं के लिये हरे चारे का भरपूर इंतजाम

श्री परमार ने 3 बीघा जमीन में जानवरों के लिये हरे चारे का इंतजाम किया है। इससे उन्हें वर्ष भर चारा मिलता है। डेयरी फार्म पर ही पशुओं का दाना बनाने की मशीन भी है जिससे उन्हें दाना बाजार से नहीं खरीदना पड़ता।

पशुओं की देखभाल पर पूरा ध्यान

अपनी डेयरी में पशुओं की देखभाल और दूध दुहने के लिए 4 लोगों का स्टाफ रखा है। पशुओं के बीमार होने पर तत्काल पशु चिकित्सक को बुलाया जाता है और उनका पूरा उपचार कराया जाता है।
ऊर्जा मंत्रालय ने बोर्ड लगाया, अनुदान नहीं दिया

श्री परमार ने स्वयं के खर्चे पर 100 घन मीटर का बायोगैस संयंत्र भी स्थापित किया है जिसमें प्रतिदिन 2500 किलो ग्राम गाय का गोबर लगता है उसी से 12 के.व्ही. की बिजली उत्पन्न होती है जो फार्म हाऊस के लिये पर्याप्त है। ऊर्जा मंत्रालय का 4 लाख बीस हजार अनुदान राशि का बोर्ड जरूर लगा है मगर श्री परमार का कहना है कि कई बार आवेदन दिया मगर आज दिनांक तक अनुदान राशि नहीं मिली।

source: krishak jagat

 

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