कीट नियंत्रण
मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में बदलते मौसम ने फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है.
इस बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान दलहनी और तिलहनी फसलों को हुआ है.
दरअसल, मध्य प्रदेश के सीधी क्षेत्र में बारिश और ओला से चने की फसल पर इल्ली का प्रकोप बढ़ रहा है, तो वहीं सरसों की फसल में माहू नामक रोग का प्रकोप बढ़ रहा है.
ऐसे में किसानों को अपनी फसल पर बढ़ते कीटों के प्रकोप को देखकर चिंता सता रही है.
फसलों में बढ़ते कीटों के प्रकोप से किसानों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए जिले के कृषि वैज्ञानिकों ने जरुरी सलाह जारी दी है.
उन्होंने कहा कि समय पर कीटों को नियंत्रित कर फसलों को नुकसान से बचाया जा सकता है.
खेत में गाड़ें खूंटी
कृषि विज्ञान केंद्र सीधी के वैज्ञानिकों ने चने की फसल को इल्ली से बचाने के लिए बर्ड परचर का सुझाव दिया है.
उन्होंने कहा कि एक एकड़ खेत में 7-8 जगह पर अंग्रेजी के टी आकार की खूंटी गाड़ दें, साथ ही खूंटी के पास थोड़ा सा चावल का छिड़काव कर दें.
ऐसा करने से चिड़ियाँ चावल को चुनने के लिए उस खूंटी के पास आकर बैठ जाएंगी और फसलों पर आ रहे कीटों को खाकर समाप्त कर देंगी.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि जब फसल में फलियां फूटने लगेंगी, तो इन खूंटियों को हटा दें, वरना फलियों को चिड़ियाँ चुंग सकती हैं.
इसके लिए चने की फसल में प्रोपेनोफोस 2 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़क दें.
वहीँ, सरसों की फसल में माहू कीट नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोरोपीड 7 मिली प्रति टंकी की दर से घोल बनाकर छिड़क दें.
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