हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

टमाटर की इस किस्म में नहीं लगते कीट व रोग

 

एक पौधे से मिलती है 18 किलो पैदावार

 

टमाटर की अर्का रक्षक किस्म की खेती सबसे पहले 2012-13 में मणिपुर में शुरू हुई.

यहां के किसान रोग और कीट के कारण टमाटर की खेती छोड़ रहे थे.

इसकी जानकारी वैज्ञानिकों को मिली तो उन्होंने इस किस्म को विकसित किया.

 

टमाटर की खेती किसानों के लिए अतिरिक्त आय का एक बेहतर जरिया है.

इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है.

इन किस्मों की खेती किसानों के लिए काफी लाभदायक होती है. कीट और रोग के लिए लगने वाला खर्च बच जाता है.

इस वजह से ज्यादा मुनाफा होता है. टमाटर की इसी तरह की एक किस्म है अर्का रक्षक.

डीडी किसान के रिपोर्ट के मुताबिक, इसके एक पौधे से 18 किलो तक पैदावार हासिल होती है.

 

टमाटर की अर्का रक्षक किस्म की खेती सबसे पहले 2012-13 में मणिपुर में शुरू हुई.

यहां के किसान रोग और कीट के कारण टमाटर की खेती छोड़ रहे थे.

इसकी जानकारी वैज्ञानिकों को मिली तो उन्होंने इस किस्म को विकसित किया.

आज अर्का रक्षण टमाटर की खेती सिर्फ मणिपुर में ही नहीं बल्कि पूरे देश में हो रही है.

 

एक टमाटर का वजन 100 ग्राम तक होता है

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि अर्का रक्षक भारत की पहली त्रिगुणित रोग प्रतिरोधी किस्म है.

त्रिगुणित यानी तीन रोगों, पत्ती मोड़क विषाणु, जीवाणुविक झुलसा और अगेती अंगमारी से रक्षा करने वाली.

इसकी एफ-1 संकर प्रजाति का एक पौधा 18 किलो टमाटर दे सकता है.

इस किस्म को 2010 में बेंगलुरु स्थित भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान ने विकसित किया.

गहरे लाल रंग के हर टमाटर का वजन 90 से 100 ग्राम के आसपास होता है.

 

टमाटर की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6-7 रहे तो उपयुक्त होता है.

टमाटर की खेती के लिए भूमि की तीन से चार बार गहरी जुताई कर एक हेक्टेयर खेत में 25-30 टन गोबर की सड़ी हुई खाद डालनी चाहिए.

बुवाई के बाद ऊपरी सतह पर गोबर की खाद की पतली परत बिछा देनी चाहिए.

क्यारी को धूप, ठंड या बरसात से बचाने के लिए घास फूस से ढका जा सकता है.

 

टमाटर की खेती में इन बातों का रखें ध्यान

टमाटर की खेती के दौरान सिंचाई का विशेष ध्यान रखना पड़ता है.

पहली सिंचाई रोपण के बाद की जाती है. बाकी इसके बाद आवश्यकतानुसार 20 से 25 दिन के अंतराल पर सिंचाई करना उचित रहता है.

अच्छी पैदावार हासिल करने के लिए समय-समय पर निराई भी जरूरी होती है.

अगर फसल में कीट वगैरह लगते हैं तो किसान भाई कीटनाशक का छिड़काव कर सकते हैं.

 

आप बैंगन की खेती करने जा रहे हैं और अधिक उत्पादन की चाह रखते हैं तो आपको दो पौधों के बीच दूरी का खास ध्यान रखना होगा.

दो पौधों और दो कतार के बीच 60 सेंटी मीटर होनी ही चाहिए. खाद और उर्वरक का इस्तेमाल मिट्टी की जांच के हिसाब से ही करना चाहिए.

खेत तैयार करते वक्त 25 से 30 टन गोबर की सड़ी खाद मिट्टी में अच्छी तरह मिला देनी चाहिए. इससे अच्छी पैदावार मिलती है.

 

यह भी पढ़े : सब्सिडी पर कृषि यन्त्र लेने हेतु आवेदन

 

यह भी पढ़े : जानिए कैसी होगी सितम्बर महीने में मानसूनी वर्षा

 

यह भी पढ़े : एमएसपी पर फसल बेचना है तो करवाईए रजिस्ट्रेशन

 

source

 

शेयर करे