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प्लास्टिक की बोरी में होगी खेती, 20 गुना तक बढ़ेगा उत्पादन

 

जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय ने ईजाद की तकनीक

 

जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक की बोरी में खेती की नई तकनीक ईजाद की है। इससे मध्यप्रदेश के 70 फीसदी उन किसानों को जमकर फायदा होगा, जिनके पास मात्र एक से दो एकड़ जमीन ही खेती के लिए है। मिट्टी और खाद के 65 किलो ग्राम मिश्रण वाली इस बोरी के जरिए फसल में 20 गुना वृद्धि होने का दावा किया गया है। जानकारी के मुताबिक विश्वविद्यालय द्वारा 560 बोरियों में 23 प्रकार की अरहर उगाकर प्रयोग किया गया है और इसके परिणाम वैज्ञानिकों को अपेक्षा से कहीं ज्यादा प्राप्त हुए हैं। किसान सिंचाई के लिए फव्वारों का इस्तेमाल कर सकेंगे।

 

75 के स्थान पर 14 सौ ग्राम होगा उत्पादन 

बताया जाता है कि आमतौर पर अरहर के एक पेड़ से 75 से 110 ग्राम पैदावार होती है, लेकिन बोरी में की गई खेती से एक पेड़ के जरिए 14 सौ से 15 सौ ग्राम तक पैदावार होगी। नई तकनीक से जहां जुताई से निजात मिलेगी, वहीं सिंचाई के लिए काफी कम मात्रा में पानी लगेगा। 

 

 

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एक बार में दो फसल

प्लास्टिक की बोरी में अरहर के एक पेड़ के लिए बोवनी की जाएगी और जैसे ही 15 दिनों में पौधा तैयार होगा बोरी के बाकी हिस्से में धनिया के बीज बो दिए जाएंगे। अरहर का पौधा जब तक फूलना और फलना शुरू होगा, जब तक धनिया की पैदावार तीन बार बेचने योग्य हो जाएगी। 

 

यह होगा मिश्रण

65 किलो की बोरी में 45 किलो कापू मिट्टी, 20 किलो गोबर की खाद तथा 15 से 20 ग्राम बायो फर्टिलाइजर डाला जाएगा। अरहर के अलावा स्वीटकॉर्न, मिर्ची, टमाटर तथा अरबी की फसल के लिए भी यह प्रयोग किया जा रहा है। 

 

यह होंगे लाभ

– खेत की अपेक्षा अधिक पैदावार
– जुताई की समस्या से निजात
– सिंचाई के लिए कम पानी
– कम जगह में आसानी से खेती
– अरहर के अलावा भविष्य में अन्य फसलों का उत्पादन

 

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इस तकनीक से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में काफी इजाफा होता है। छोटे किसानों को फोकस कर इस दिशा में प्रयोग किया गया है। इच्छुक छोटे किसान इस तकनीक को अपनाने के लिए कृषि विवि जबलपुर आकर संपर्क कर सकेंगे। जल्द ही प्रशिक्षण के लिए कार्य योजना तैयार की जाएगी। 

– डॉ. मॉनी थामस,
वैज्ञानिक, जनेकृविवि, जबलपुर

 

source : peoplessamachar

 

 

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