Skip to content
Menu
ekisan
  • Home
  • मंडी भाव
  • कृषि समाचार
  • सरकारी योजना
  • Download App
  • मौसम समाचार
ekisan
WhatsApp Group Join Now

प्लास्टिक की बोरी में होगी खेती, 20 गुना तक बढ़ेगा उत्पादन

Posted on November 27, 2020November 26, 2020

 

जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय ने ईजाद की तकनीक

 

जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक की बोरी में खेती की नई तकनीक ईजाद की है। इससे मध्यप्रदेश के 70 फीसदी उन किसानों को जमकर फायदा होगा, जिनके पास मात्र एक से दो एकड़ जमीन ही खेती के लिए है। मिट्टी और खाद के 65 किलो ग्राम मिश्रण वाली इस बोरी के जरिए फसल में 20 गुना वृद्धि होने का दावा किया गया है। जानकारी के मुताबिक विश्वविद्यालय द्वारा 560 बोरियों में 23 प्रकार की अरहर उगाकर प्रयोग किया गया है और इसके परिणाम वैज्ञानिकों को अपेक्षा से कहीं ज्यादा प्राप्त हुए हैं। किसान सिंचाई के लिए फव्वारों का इस्तेमाल कर सकेंगे।

 

75 के स्थान पर 14 सौ ग्राम होगा उत्पादन 

बताया जाता है कि आमतौर पर अरहर के एक पेड़ से 75 से 110 ग्राम पैदावार होती है, लेकिन बोरी में की गई खेती से एक पेड़ के जरिए 14 सौ से 15 सौ ग्राम तक पैदावार होगी। नई तकनीक से जहां जुताई से निजात मिलेगी, वहीं सिंचाई के लिए काफी कम मात्रा में पानी लगेगा। 

 

 

यह भी पढ़े : खेती के ‘संक्रमण’ को तुलसी का वैक्सीन, बदली 250 किसानों की किस्मत

 

एक बार में दो फसल

प्लास्टिक की बोरी में अरहर के एक पेड़ के लिए बोवनी की जाएगी और जैसे ही 15 दिनों में पौधा तैयार होगा बोरी के बाकी हिस्से में धनिया के बीज बो दिए जाएंगे। अरहर का पौधा जब तक फूलना और फलना शुरू होगा, जब तक धनिया की पैदावार तीन बार बेचने योग्य हो जाएगी। 

 

यह होगा मिश्रण

65 किलो की बोरी में 45 किलो कापू मिट्टी, 20 किलो गोबर की खाद तथा 15 से 20 ग्राम बायो फर्टिलाइजर डाला जाएगा। अरहर के अलावा स्वीटकॉर्न, मिर्ची, टमाटर तथा अरबी की फसल के लिए भी यह प्रयोग किया जा रहा है। 

 

यह होंगे लाभ

– खेत की अपेक्षा अधिक पैदावार
– जुताई की समस्या से निजात
– सिंचाई के लिए कम पानी
– कम जगह में आसानी से खेती
– अरहर के अलावा भविष्य में अन्य फसलों का उत्पादन

 

यह भी पढ़े : जल्द तय किये जा सकते हैं सब्जियों के न्यूनतम समर्थन मूल्य

 

इस तकनीक से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में काफी इजाफा होता है। छोटे किसानों को फोकस कर इस दिशा में प्रयोग किया गया है। इच्छुक छोटे किसान इस तकनीक को अपनाने के लिए कृषि विवि जबलपुर आकर संपर्क कर सकेंगे। जल्द ही प्रशिक्षण के लिए कार्य योजना तैयार की जाएगी। 

– डॉ. मॉनी थामस,
वैज्ञानिक, जनेकृविवि, जबलपुर

 

source : peoplessamachar

 

 

शेयर करे 

मंडी भाव सर्च करे

Latest News

  • सोयाबीन मंडी भाव | 05 जून 2023
  • गुलाबी लहसुन है वरदान, खासियत और फायदे ऐसे की जानकर हैरान रह जाएंगे
  • PM Kisan Yojana के लाभार्थियों की संख्या में आ सकती है कमी
  • 20 जिलों में बारिश-ओले के आसार, चलेगी तेज हवाएं
  • इंदौर मंडी में आवक और डॉलर चना कंटेनर रेट
  • बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण के साथ ही हर महीने दिए जाएँगे 10 हजार रुपए
  • अब नीली हल्दी की खेती से किसानों को हो रहा बंपर मुनाफा
  • सफेद बैंगन की खेती कुछ ही महीनों में कर देगी मालामाल
  • जून-जुलाई में इन फलों की करें खेती
  • किसानों को मिलता है सीधे 3 लाख का लोन, वो भी कम ब्याज पर

Latest Mandi Rates

  • aaj ke mandi bhavआज के मंडी भाव मध्यप्रदेश
  • इंदौर मंडी भाव, डॉलर चना 13 हजार के पार
  • Neemuch Mandi Bhav नीमच मंडी भाव
  • Mandsaur Mandi Bhav मंदसौर मंडी भाव
  • Betul Mandi Bhav बेतुल मंडी भाव
  • Dhamnod Mandi Bhav धामनोद मंडी भाव
  • Dhar Mandi Bhav RatesDhar Mandi Bhav धार मंडी भाव
  • Ujjain Mandi BhavUjjain Mandi Bhav उज्जैन मंडी भाव
  • Khargone Mandi Bhav खरगोन के मंडी भाव
  • Badnawar Mandi Bhav बदनावर मंडी भाव

फेसबुक पेज लाइक करे

https://www.facebook.com/EKisanIndia

Important Pages

  • About
  • Contact us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Home
  • मंडी भाव
  • कृषि समाचार
  • सरकारी योजना
  • Download App
  • मौसम समाचार

Follow us on Facebook

©2023 eKisan