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किसान गिन रहा उपज के दाम, देखभाल की फिक्र कर रही कंपनी

 

इंदौर जिले के किसान तीन साल से बेफिक्र होकर ले रहे मुनाफा। कंपनी की ओर से मिल रहा उन्नत बीज और कीटनाशक की जानकारी भी।

 

नए कृषि कानूनों में कान्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम का मुंह तोड़ जवाब मध्य प्रदेश के वे किसान हैं, जो कई साल से इसके तहत खेती कर रहे हैं। इंदौर जिले के दो गांवों के किसान कान्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत आलू की खेती कर रहे हैं।

इससे उनके मुनाफे में निश्चिंतता आई है। पहले से तय दाम मिलने से वे बेफिक्र हैं। जो चिप्स निर्माता कंपनी कान्ट्रैक्ट कर रही है, उसे अपने उत्पाद की चिंता रहती है, इसलिए बीज से लेकर मिट्टी परीक्षण तक का जिम्मा वही उठाती है।

 

एक फायदा यह भी है कि बाजार में बेचने पर 60 किलो के बैग पर एक किलो का वजन कटता है (कमी की जाती है) तो कंपनी से कान्ट्रैक्ट में इसी बैग पर 100 ग्राम वजन ही कटता है।

इंदौर जिले के 200 से अधिक किसान इसी नीति के तहत आलू उगा रहे हैं। वहीं, छिंदवाड़ा के उमरेठ, चौराई, बिछुआ और मोहखेड़ा ब्लॉक में नौ साल से आलू की कान्ट्रैक्ट फार्मिंग की जा रही है।

 

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केस-एक

30 बीघा जमीन है। तीन साल से कान्ट्रैक्ट के तहत मुनाफा ले रहा हूं। हमें पता होता है कि कितने दाम पर कान्ट्रैक्ट करने से मुनाफा होगा। इसी हिसाब से कंपनी से दाम तय किए जाते हैं। हम निश्चिंत हो जाते हैं।

कंपनी बीज उपलब्ध कराती है। इससे इसकी गुणवत्ता बाजार में मिलने वाले बीज से अच्छी होती है। समय-समय पर मिट्टी का परीक्षण भी कंपनी ही करवाती है। इससे कितनी मात्रा में कौनसा कीटनाशक डालना है। यह हमें पता चल जाता है।

–राजेश उज्जवल, ग्राम सिमरोल, तहसील महू, इंदौर

 

केस-दो

तीन साल से पांच एकड़ में आलू की खेती कान्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत कर रहे हैं। भाव तय हो जाता है तो चिंता नहीं रहती है। अन्य किसान जब बाजार भाव के कम होने से चिंतित होते हैं, उस समय हमें पता होता है कि हमारी उपज किस दाम पर बिकेगी।

यदि बाजार भाव ज्यादा हो तो भी हमें फायदा मिलता है। जैसे इस बार हमने 16 रुपये किलो के भाव से दाम तय किए थे। बाजार भाव कुछ ज्यादा था तो प्रति किलो दो रुपये का बोनस दिया गया।

गोलू, ग्राम हरसोला, इंदौर

 

यह फायदा भी

– कंपनी बीज देती है। किसी कारण से बीज खराब हो जाए तो कंपनी की ओर से क्लेम देने की व्यवस्था है। हालांकि अभी तक क्लेम देने जैसी स्थिति नहीं बनी है।

– कंपनी की ओर से कृषि विज्ञानी फसल का निरीक्षण करने आते हैं। इससे किसी प्रकार की कीटव्याधि से निपटने का मार्गदर्शन मिल जाता है।

 

इनका कहना

क्षेत्र में कई गांवों के किसान कान्ट्रैक्ट फार्मिंग कर रहे हैं। सभी को फायदा हो रहा है। तीन साल में अभी तक एक भी शिकायत इसे लेकर नहीं आई है।

आलोक मीणा, संयुक्त संचालक (कृषि), इंदौर संभाग

 

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source : naidunia

 

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