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तुअर दाल का विकल्प बन रही राम बटला

 

क्षेत्र में परंपरागत फसल के साथ लाल तुअर, मूंग, उड़द, चना आदि का उत्पादन किया जा रहा है। काफी मेहनत के बावजूद उत्पादन मांग के अनुरूप नहीं हो रहा है।

इसके चलते दाल के विकल्प के रूप में अब क्षेत्र के कई किसान राम बटला भी लगा रहे हैं। बेहरी, रामपुरा, मालीपुरा, गुवाड़ी, चारबर्डी, बावड़ीखेड़ा आदि क्षेत्रों में अधिकतर खेतों में मूंग, मसूर, चना के साथ राम बटला की फसल भी प्रमुख रूप से उगाई जा रही है।

 

आमतौर पर राम बटला का उत्पादन सामान्य दलहन फसल से अधिक होता है। अधिकतर किसान इस फसल का उपयोग हरी सब्जी के लिए भी कर रहे हैं। इसका उत्पादन भी अधिक हो रहा है।

 

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वरिष्ठ कृषक नाथूसिंह दांगी ने बताया कि राम बटला की दाल बन जाने पर यह लंबे समय तक सुरक्षित रखी जा सकती है। खाने में यह तुअर दाल के समान स्वादिष्ट लगती है। बेहरी की महिला किसान जसोदा दांगी ने बताया कि राम बटला की फसल सूखने के बाद हम उसे दाल के रूप में उपयोग लेते हैं।

 

इसका स्वाद भी आम दाल की तरह है। वैसे इसकी फसल के लिए उन्नात बीज की आवश्यकता भी महसूस होती है। कृषि विभाग के माध्यम से इसका प्रचार-प्रसार करते हुए इसका रकबा बढ़ाया जाना चाहिए।

 

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक अशोककुमार दीक्षित का कहना है कि राम बटला की फसल को भी उचित स्थान मिलना चाहिए। यदि इसका उचित प्रचार-प्रसार किया जाएं तो यह तुअर दाल का बेहतर विकल्प है।

हालांकि मालवा-निमाड़ क्षेत्र में यह सिमटकर रह गई है। अन्य स्थानों पर इसका प्रचार-प्रसार दलहन फसल के रूप में किया जाना चाहिए।

 

आयुर्वेद डॉक्टर पूजा जाट ने बताया कि इसमें लोहा और कैल्शियम रहता है, जो सभी प्रकार से फायदेमंद है। कुपोषित बच्चों के लिए भी बहुत पौष्टिक रहती है। इसकी दाल गर्भवती भी उपयोग करें तो लाभ मिलता है।

 

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source : naidunia

 

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