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दाल बेचो, सरकार सीधे बैंक अकाउंट में भेजेगी पैसे

पोर्टल लॉन्च करते हुए केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि एथनॉल बनाने के लिए मक्का को बढ़ावा दिया जा रहा है और एक पोर्टल शुरू किया जाएगा जहां किसान अपनी उपज बेच सकते हैं।

केंद्र सरकार ने उन किसानों के लिए एक नए पोर्टल की शुरुआत की है जो दलहन को बेचकर कमाई करना चाहते हैं।

केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को इस पोर्टल की शुरुआत की।

इस पोर्टल के जरिये किसान खुद को रजिस्टर्ड कराने के साथ न्यूनतम समर्थनम मूल्य (एमएसपी) अथवा बाजार मूल्य पर नेफेड और एनसीसीएफ को अपने उत्पाद बेच सकते हैं।

 

अमित शाह ने लॉन्च किया पोर्टल

अभी पोर्टल पर तुअर दाल की बिक्री की जा सकती है।

वहीं, भविष्य में उड़द और मसूर दाल के किसानों के साथ-साथ मक्का किसानों के लिए भी इसी तरह की सुविधा शुरू की जाएगी। 

अमित शाह ने ट्रायल के तहत पोर्टल के माध्यम से तुअर की बिक्री के भुगतान के लिए 25 किसानों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के जरिये करीब 68 लाख रुपये भेजे।

बता दें कि सहकारी राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ लिमिटेड (नेफेड) और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) जैसी दो केन्द्रीय नोडल एजेंसियां दलहन का ‘बफर स्टॉक’ रखने के लिए सरकार की ओर से दलहनों की खरीद करती हैं’।

जब दलहन की कीमतें एमएसपी से नीचे गिर जाती हैं तो ये एजेंसियां मूल्य समर्थन योजना के तहत भी दलहनों की खरीद करती हैं।

 

क्या कहा अमित शाह ने…

पोर्टल लॉन्चिंग पर अमित शाह ने कहा कि बुवाई कार्य से पहले तुअर किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर नेफेड और एनसीसीएफ को अपनी उपज बेचने के लिए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि रजिस्टर्ड तुअर दाल उपज करने वाले किसानों के पास नेफेड/एनसीसीएफ या खुले बाजार में बेचने का विकल्प होगा।

अगर तुअर दाल का खुले बाजार का मूल्य एमएसपी से अधिक होता है, तो उस स्थिति में एक विधि के जरिये औसत दर निकाली जाएगी।

भुगतान प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिये किया जायेगा।

अमित शाह ने कहा कि अधिकतर किसान दालों की खेती नहीं कर रहे हैं क्योंकि कीमतें सुनिश्चित नहीं होतीं।

पोर्टल के जरिये खरीद के साथ यह पहल कृषि क्षेत्र में एक बड़ा सुधार लाएगी और दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद करेगी।

 

लॉन्चिंग की टाइमिंग है अहम

यह ध्यान देने योग्य है कि तुअर दाल खरीद पोर्टल ऐसे समय में आया है जब दलहन खेती के रकबे में गिरावट के मद्देनजर खरीफ सत्र 2023-24 में घरेलू तुअर उत्पादन लगातार दूसरे वर्ष कम होने का अनुमान है।

आम चुनावों से पहले केंद्रीय नोडल एजेंसियों को पर्याप्त बफर बनाए रखने और खुदरा मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखने के लिए अधिकतम मात्रा में खरीद करने की उम्मीद है।

 

क्या कहते हैं आंकड़े

वर्ष 2016-17 के ख़रीफ़ सत्र में तुअर का उत्पादन 48.7 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था और उसके बाद के वर्ष में उत्पादन गिर गया और वर्ष 2022-23 में 33.1 लाख टन के निचले स्तर पर आ गया।

कृषि मंत्रालय के शुरुआती अनुमान के अनुसार, खरीफ सत्र 2023-24 के लिए तुअर का उत्पादन 34.2 लाख टन होने का अनुमान है।

 

आगे का प्लान

अमित शाह ने कहा कि आगे जाकर, उड़द और मसूर किसानों के लाभ के लिए भी एक खरीद पोर्टल शुरू किया जाएगा।

उड़द और मसूर दो अन्य दालें हैं जिनके लिए देश आयात पर निर्भर करता है और सुनिश्चित खरीद होने से इनका उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।

चूंकि सरकार पेट्रोल के साथ एथनॉल मिश्रण और कच्चे तेल के आयात को कम करने पर जोर दे रही है।

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