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किसानों के लिए आई अच्छी खबर- सोयाबीन की कीमतों में लगातार चार दिन से बढ़ोतरी जारी

 

सोयाबीन की कीमतों में लगातार चार दिन से बढ़ोतरी जारी

 

एक नहीं दो नहीं बल्कि सोयाबीन की कीमतों में लगातार चार दिनों से तेजी आ रही है. यह किसानों के लिए एक बड़ी राहत है.

दिवाली के बाद सोयाबीन के बाजार में काफी बदलाव आया है.लातूर मंडी में सोयाबीन 4500 रुपये से बढ़कर 6200 रुपये होगये हैं.

 

महाराष्ट्र के लातूर जिले में सोयाबीन की कीमतों में लगातार चार दिनों से तेजी आ रही है.

सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए ये एक बड़ी राहत है.दिवाली के बाद सोयाबीन के बाजार में काफी बदलाव आया है.

और कीमतों में दिन-ब-दिन सुधार हो रहा है. इसलिए उत्पादन में गिरावट के बावजूद अब दरों में बढ़ोतरी से किसानों को बड़ा प्रोत्साहन मिल रहा है.

लातूर कृषि उपज मंडी समिति में पिछले चार दिनों में सोयाबीन की कीमतों में 600 रुपये की तेजी देखी जा रही हैं.

 

सोयाबीन की कीमतों में इतनी तेजी से बदलाव की उम्मीद सिर्फ किसान ही नहीं बल्कि व्यापारी भी कर रहे थे.

हालांकि अवाक कम होने के कारण दरें जस की तस बनी हुई हैं.

तो वही लातूर कृषि उपज मंडी समिति मराठवाड़ा के उस्मानाबाद, नांदेड़, बीड और अंबाजोगाई से सोयाबीन प्राप्त करती है.

हालांकि इस साल सीजन की शुरुआत से ही अवाक सीमित हैं.इसलिए अगर अवाक समान रहती है तो सोयाबीन की कीमत में वृद्धि जारी रहेगी.

 

सोयाबीन 4500 रुपये से 6200 रुपये पर

दिवाली से पहले सोयाबीन की कीमतों में गिरावट आई थी. इसलिए भविष्य में सोयाबीन की कीमतों में गिरावट की आशंका जताई जा रही थी.

लेकीन प्रसंस्कृत उद्योगपतियों की ओर से सोयाबीन की मांग बढ़ने से कीमतों में सुधार हो रहा है.

पिछले चार दिनों में यह दर 600 रुपये बढ़ी है. दूसरी ओर, जैसे-जैसे अवाक सीमित होती जा रही है, उम्मीद है कि इसी तरह की दरों में वृद्धि जारी रहेगी.

किसानों ने अधिक दाम की उम्मीद रखते हुए सोयाबीन का स्टॉक कर लिया था.

जिससे किसानों का अनुमान सच हो गया है और सोयाबीन 6,000 के पार पहुंच गया हैं.

 

लेकीन उड़द की दरें स्थिर बनी हुई हैं

एकमात्र खरीफ फसल उड़द की कीमतें सीजन की शुरुआत से ही स्थिर बनी हुई हैं.

उडद लातूर कृषि उपज मंडी समिति में इस समय उडद का भाव 7250 प्रति क्विंटल है.

इस सीजन में सिर्फ उड़द से ही किसानों को फायदा हुआ हैं.उडद का आगमन ऋतु की शुरुआत में हुआ था.

भारी बारिश से पहले ही उडदा की कटाई कर ली गई थी.इसलिए उडद की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव डाले बिना दरें समान बनी हुई हैं.

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