15 जनवरी तक होगी सोयाबीन की MSP पर खरीदी

देश भर में इस साल सोयाबीन की बंपर पैदावार देखने को मिली है। सोयाबीन तिलहन फसलों में से एक प्रमुख फसल है

हालांकि सोयाबीन की कीमतें फिलहाल MSP से निचले स्तर पर चल रही है। बीते कई महीनो से सोयाबीन की कीमतों में गिरावट दर्ज की जा रही है।

सरकारी एजेंसियों द्वारा अक्टूबर महीने से लेकर अभी तक सोयाबीन उत्पादन वाले प्रमुख 6 राज्यों से प्राइस सपोर्ट स्कीम के चलते लगभग 10 लाख टन तिलहन वैरायटी की खरीदी की है।

फिलहाल सरकारी एजेंसियों द्वारा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक गुजरात और तेलंगाना में खरीदी कर रही है।

एजेंसियों द्वारा अब तक यहां के किसानों से लगभग 4.12 लाख टन सोयाबीन खरीद ली है।

जानकारी के मुताबिक नकद और एनसीसीएफ जैसी एजेंसियों द्वारा 15 जनवरी 2025 तक MSP के चलते सोयाबीन की खरीदी की जाने की बात कही है।

 

सोयाबीन का MSP रेट

सरकार द्वारा सोयाबीन के एमएसपी रेट साल 2024-25 में 4892 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किए गए थे।

बता दे शुक्रवार के दिन एसपी की तुलना में सोयाबीन का रेट लगभग 4300 प्रति क्विंटल था।

सोयाबीन की कीमतों में गिरावट आने के कई सारे कारण बताए जा रहे हैं ऐसे में सबसे बड़ा कारण यह है कि वैश्विक स्तर पर सोयाबीन का उत्पादन बहुत ज्यादा हुआ है जिसके चलते सोयाबीन के रेट गिर रहे हैं।

 

सोयामील की कीमतों पर पड़ा असर

सोयाबीन की कीमतों में लगातार गिरावट दर्ज करने के बाद में इसके चलते सोयामील की कीमतों पर बहुत भारी असर पड़ा है।

वही बात कर तो इंदौर में सोयाबीन की एक फैक्ट्री की कीमतें शुक्रवार को घट गई जो घटकर 2950 रुपए प्रति क्विंटल हो चुकी है इतना ही नहीं जहां 2024 की शुरुआत में यह 4150 रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर बेची जा रही थी वह अभी घट चुकी है।

कृषि मंत्रालय के अग्रिम अनुमानों के हिसाब से खरीद तिलहन किस्म का उत्पादन 13.36 मेट्रिक टन हो सकती है। जो कि बीते साल से मामूली रूप से ज्यादा हो सकती है।

 

खाद्य तेलों के रेट में बढ़ोतरी

खाद्य तेलों के रेट में लगातार बढ़ोतरी की जा रही है। केंद्र सरकार की तरफ से 14 सितंबर से कच्चे पाम और सोयाबीन के साथ सूरजमुखी के तेल पर आयात शुल्क 5.5% से बढ़कर 27.5 प्रतिशत तक कर दिया गया है।

घरेलू उत्पादन का बढ़ावा मिले और किसानो की उपज की अच्छी कीमत प्राप्त हो सके।

बता दे रिफाइंड इनेडिबल तेल का आयात शुल्क 13. 75% से बड़ा करके 35.75% कर दिया गया है।

सरकार की तरफ से तिलहन और दलहन फसलों के लिए बहुत बड़ा मिशन चल रहा है जिससे कि देश में इनका उत्पादन बढ़ाया जा सके और किसानों को मुनाफा प्राप्त हो सके।

बता दे भारत में 24-25 मेट्रिक टन की खाद्य तेल की खपत होती है वही लगभग 58% विदेशी देशों में आयात करवाया जाता है।

इन कृषि यंत्रो को सब्सिडी पर लेने हेतु 06 जनवरी तक करें आवेदन

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