बुरहानपुर की हल्दी ने बनाई वैश्विक पहचान
खाड़ी देशों तक पहुंच बनाकर विदेशियों की पहली पसंद बने बुरहानपुरी केले के बाद अब यहां की हल्दी भी विदेशों में धूम मचाने के लिए तैयार है।
जिले के करीब ढाई हजार हेक्टेयर में उत्पादित हो रही अच्छी गुणवत्ता की हल्दी की मांग बढ़ रही है।
हाल ही में रूस के मास्को शहर से किसानों की कंपनी खकनार फार्मर प्रोड्यूसर को दस क्विंटल हल्दी के निर्यात का आर्डर मिला है।
वहां की एक मसाला कंपनी ने इसके लिए कंपनी संचालक किसानों से एमओयू साइन किया है।
उद्यानिकी विभाग के प्रमुख राजू बड़वाए का कहना है कि बुरहानपुर में उगाई जाने वाली हल्दी में पेस्ट्रीसाइट की मात्रा न के बराबर होती है और इसमें पाए जाने वाले प्रमुख तत्व करक्यूमिन की मात्रा भी अच्छी होती है।
एमओयू से पहले भेजे गए सैंपल की इंदौर स्थित लैब और मास्को की लैब में हुई जांच में करक्यूमिन की मात्रा 3.2 प्रतिशत पाई गई थी, जो देसी हल्दी के हिसाब से अच्छी थी।
जिले के खकनार, डोईफोड़िया में हल्दी प्रसंस्करण की सात यूनिटें काम कर रही हैं।
इससे पहले भारत-रूस मैत्री संघ के बैनर तले मास्को में लगाए गए स्टाल से 80 किलो हल्दी हाथों-हाथ बिक गई थी।
बड़ी मंडी बन रहा खकनार क्षेत्र
आदिवासी बहुल खकनार क्षेत्र हल्दी की बड़ी मंडी बनता जा रहा है। खकनार और डोईफोड़िया में हल्दी के एक दर्जन से ज्यादा थोक खरीदार मौजूद हैं, जो इसकी आपूर्ति प्रदेश के कई जिलों में कर रहे हैं।
इससे किसानों का न केवल परिवहन खर्च बच रहा है बल्कि उन्हें उचित मूल्य भी मिल रहा है।
फरवरी के अंत में प्रदेश में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में भी क्षेत्र में उद्योगों के स्थापित होने की संभावना बनी हुई है।
केला पाउडर का भी होगा निर्यात
राजू बड़वाए का कहना है कि हल्दी के साथ ही केले के सह उत्पाद जैसे केला पाउडर बनाने की यूनिट भी स्थापित कराई गई है।
इसके निर्यात को लेकर भी विदेशी कंपनियों से बात चल रही है।
उन्होंने बताया कि एक साल पहले जिले में मसाला फसलों के उत्पादन और प्रसंस्करण को लेकर आयोजित राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार के बाद किसानों और उद्यमियों का रुझान इस ओर बढ़ा है।
हल्दी को लेकर 20 फरवरी को मास्को से एक दल बुरहानपुर आने वाला है। जल्द ही बुरहानपुर केला और हल्दी के सह उत्पादों के लिए पहचान बनाएगा।