मप्र सरकार द्वारा एक जिला एक उत्पाद का चयन किया जा रहा है,
जिसमें उद्यानिकी विभाग के माध्यम से हाल ही में जिले के अमरूद का चयन किया गया है। नर्मदा और तवा नदी के समीप वाले एक दर्जन से अधिक गांवों में अमरूद के 112 बगीचों में सैंकड़ों क्विंटल अमरूद की पैदावार होती है।
यहां के किसान बेचने के लिए अन्य शहरों में ले जाते हैं। कुछ व्यापारी भी अमरूद थोक में लेकर जाते हैं, जिसे बड़े शहर के लोग होशंगाबाद के जाम या अमरूद के नाम से पसंद करते हैं।
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यहां के किसान वर्षों से अपने फल नागपुर पहुंचाते हैं। किसान यहां अमरूद देते हैं और संतरा लेते हैं। अनेक किसान व व्यापारी पहले से ही यह अदला-बदली करते आ रहे हैं। जिस लोडिंग वाहन में अमरूद जाता है, उसी वाहन में संतरा आ आता है। जिले का अमरूद नागपुर में तो पसंद किया ही जाता है, वहीं इंदौर व भोपाल भी बड़ी मात्रा में जाता है।
जा चुका है 70 क्विंटल अमरूद
नवंबर से अभी तक जिले से विभिन्ना स्थानों की ओर 70 क्विंटल अमरूद जा चुका है। रायपुर गांव के बगीचे के मालिक विनोद कहार और ईश्वरी सैनी ने बताया कि उनके खेत में 5-5 एकड़ में अमरूद के बगीचे हैं। इसी तरह उनके गांव के 23 किसानों के बगीचों में अमरूद लगता है।
इसके अलावा बांद्राभान,घानाबढ़, सांगाखेड़ा,जासलपुर, सहित एक दर्जन से अधिक गांवों में बगीचे हैं। जहां से अमरूद सीधे नागपुर,इंदौर व भोपाल तक भेजा जाता है। अमरूद से गांवों के किसानों को करीब 20-25 लाख की सालाना आमदनी होती है।
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वर्जन
उद्यानिकी के क्षेत्र में जिले से अमरूद को एक जिला एक उत्पाद में शामिल किया गया है। अभी तक अमरूद की प्रोसेसिंग नहीं होती थी जिससे किसानों को कम लाभ मिलता था। लेकिन अब जिले में प्रोसेसिंग यूनिट डाली जाएगी, जिससे किसानों के अच्छी क्वालिटी के अमरूद के भाव ज्यादा मिल सकेंगे।
अमरूद की नर्सरी भी तैयार कराई जा रही है। आने वाले समय में किसानों को अमरूद से पहले की अपेक्षा ज्यादा मुनाफा होगा।
स्त्रोत : कृषि जागरण
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