मार्च माह में सब्जी की बुवाई के लिए किसानों ने तैयारी कर ली है।
शाकभाजी की खेती करने वाले किसानों के लिए मार्च का माह बेहद महत्वपूर्ण होता है।
मार्च माह के मौसम को कई मुख्य सब्जी लगाने के लिए यह समय उपयुक्त माना जाता है। जानिए बुआई विधि…
जानिए- इनकी बुआई विधि
मार्च माह में सब्जी की बुवाई के लिए जिले के किसानों ने तैयारी कर ली है।
शाकभाजी की खेती करने वाले किसानों के लिए मार्च का माह बेहद महत्वपूर्ण होता है।
मार्च माह के मौसम को कई मुख्य सब्जी लगाने के लिए यह समय उपयुक्त माना जाता है।
बाजार में अच्छे दाम मिल सके, इसलिए मार्च में कई सब्जियों की बुवाई की जाती है।
मार्च में बुवाई की जाने वाली मुख्य शाकभाजी लौकी, भिंडी, करेला, ककड़ी, खीरा, बैंगन व पालक आदि है।
खीरा
खीरे की खेती के लिए खेत में क्यारियां बनाएं। इसकी बुवाई लाइन में ही करें।
लाइन से लाइन की दूरी 1.5 मीटर रखें और पौधे से पौधे की दूरी 1 मीटर।
बुवाई के बाद 20 से 25 दिन बाद निराई – गुड़ाई करना चाहिए।
खेत में सफाई रखें और तापमान बढ़ने पर हर सप्ताह हल्की सिंचाई करें। खेत से खरपतवार हटाते रहें।
ककड़ी
ककड़ी की बुवाई के लिए एक उपयुक्त समय फरवरी से मार्च ही होता है लेकिन अगेती फसल लेने के लिए पॉलीथीन की थैलियों में बीज भरकर उसकी रोपाई जनवरी में भी की जा सकती है।
इसके लिए एक एकड़ भूमि में एक किलोग्राम बीज की ज़रूरत होती है। इसे लगभग हर तरह की ज़मीन में उगाया जा सकता है।
भूमि की तैयारी के समय गोबर की खाद डालें व खेत की तीन से चार बार जुताई करके सुहागा लगाएं।
ककड़ी की बीजाई 2 मीटर चौड़ी क्यारियों में नाली के किनारों पर करनी चाहिए।
पौधे से पौधे का अंतर 60 सेंटीमीटर रखें। एक जगह पर दो – तीन बीज बोएं। बाद में एक स्थान पर एक ही पौधा रखें।
करेला
हल्की दोमट मिट्टी करेले की खेती के लिए अच्छी होती है। करेले की बुवाई दो तरीके से की जाती है – बीज से और पौधे से।
करेले की खेती के लिए 2 से 3 बीज 2.5 से 5 मीटर की दूरी पर बोने चाहिए।
बीज को बोने से पहले 24 घंटे तक पानी में भिगो लेना चाहिए इससे अंकुरण जल्दी और अच्छा होता है।
नदियों के किनारे की ज़मीन करेले की खेती के लिए बढ़िया रहती है। कुछ अम्लीय भूमि में इसकी खेती की जा सकती है।
पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें इसके बाद दो – तीन बार हैरो या कल्टीवेटर चलाएं।
लौकी
लौकी की खेती कर तरह की मिट्टी में हो जाती है लेकिन दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी होती है।
लौकी की खेती के लिए एक हेक्टेयर में 4.5 किलोग्राम बीज की ज़रूरत होती है।
बीज को खेत में बोने से पहले 24 घंटे पानी में भिगोने के बाद टाट में बांध कर 24 घंटे रखें।
करेले की तरह लौकी में भी ऐसा करने से बीजों का अंकुरण जल्दी होता है।
लौकी के बीजों के लिए 2.5 से 3.5 मीटर की दूरी पर 50 सेंटीमीटर चौड़ी व 20 से 25 सेंटीमीटर गहरी नालियां बनानी चाहिए।
इन नालियों के दोनों किनारे पर गरमी में 60 से 75 सेंटीमीटर के फासले पर बीजों की बुवाई करनी चाहिए।
एक जगह पर 2 से 3 बीज 4 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं।
भिंडी
भिंडी की अगेती किस्म की बुवाई फरवरी से मार्च के बीच करते हैं। इसकी खेती हर तरह की मिट्टी में हो जाती है।
भिंडी की खेती के लिए खेत को दो-तीन बार जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा कर लेना चाहिए और फिर पाटा चलाकर समतल कर लेना चाहिए।
बुवाई कतारों में करनी चाहिए। कतार से कतार दूरी 25-30 सेमी और कतार में पौधे की बीच की दूरी 15-20 सेमी रखनी चाहिए।
बोने के 15-20 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करना जरुरी रहता है।
खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक का भी प्रयोग किया जा सकता है।
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