बचाव के लिए उठाए कदम
20 जनवरी गुजर चुकी है. देश में कड़ाके की ठंड का दौर जारी है. पाला भी पल रहा है.
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पाले से बचाव के लिए किसानों को अलर्ट रहने की जरूरत है.
देश के कई हिस्सों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. कई राज्यों में तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला गया.
पाले ने लोगों के हाथ-पैरों में गलन बढ़ा दी है. लोग थर थर कांपने को मजबूर हैं.
लेकिन इंसान ही नहीं हाड़ कंपा देने वाली ठंड का असर पाले के साथ फसलों पर भी देखने को मिल रहा है.
विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले 15 दिन से देश में बहुत अधिक ठंड पड़ी है. मिड जनवरी हो गई है.
अभी ठंड और पड़ेगी. आलू, सरसों, चना समेत अन्य फसलों को पाला नुकसान पहुंचाता है.
किसानों को सतर्क रहकर फसलों की देखभाल करने की जरूरत है. इसी को लेकर बचाव के उपयोगी टिप्स नीचे दिए गए हैं.
सिंचाई करके पाले से बचाएं
पानी की अधिक मात्रा ठंड को नियंत्रण करने का काम करती है. मसलन, समुद्र या बड़ी नदी के किनारे तापमान अधिक सर्द नहीं होता है.
इसी तरह पाला अधिक पड़ रहा है तो नियमित अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए.
इससे फसल के आसपास के तापमान में 3 से 4 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट दर्ज की जाती है.
तापमान गिरने से फसल को नुकसान नहीं होता है.
पौधों को ढककर रखें
नर्सरी में पाला फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाता है.
अधिक ठंड की स्थिति दिखने पर नर्सरी में लगे पौधों को प्लास्टिक की चादर से ढक देना चाहिए.
ऐसा करने पर चादर के अंदर का तापमान 3 से 4 डिग्री सेल्सियस तक घट जाता है.
यदि प्लास्टिक ढकने का खर्चा आपको महंगा लग रहा है तो पुआल का प्रयोग पौधों को ढकने के लिए किया जा सकता है.
पौधों को कवर करते समय दक्षिण-पूर्वी भाग खुला होना चाहिए.
ऐसा इसलिए किया जाता है कि ताकि पौधों को धूप और हवा सही से मिलते रहे.
पुआल या प्लास्टिक की चादर का इस्तेमाल दिसंबर से फरवरी तक करें. मार्च में इसे हटा देना चाहिए.
पेड़ों की बाड़ भी करती है बचाव
फसलों को पाले से बचाने के लिए पेड़ और झाड़ियों की बाड़ भी काम आती है.
एक उपाय तो यह है कि खेत के चारों ओर पेड़ या झाड़ी की बाड़ है तो पाला उतना नुकसान नहीं पहुंचा पाता है, क्योंकि चलने वाली शीतलहर सीधे ही फसलों के संपर्क में नहीं आती है.
यदि खेत के चारों ओर बाड़ लगाना संभव नहीं है तो उत्तर-पश्चिम दिशा में पेड़ों की बाड़ लगा देनी चाहिए.
पेड़ों की ऊंचाई जितनी अधिक होती है तो पाले से बचाव में फसल उतनी ही सुरक्षित रहती है.
गंधक भी है लाभकारी
मौजूदा समय में पाला पड़ रहा है. आलू, चना, सरसों को नुकसान होने की संभावना है.
विशेषज्ञों का कहना है कि पफसल पर पाले के प्रभाव को देखते हुए व्यावसायिक गधंक के तेजाब का 0.1 प्रतिशत का छिड़काव करें.
गंधक का प्रयोग करने से आसपास के एनवायरमेंट का तापमान बढ़ जाता है.
तापमान बढ़ने से फसल के जमने की स्थिति नहीं आती है और फसल सुरक्षित रहती है.
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