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सोयाबीन की इन क़िस्मों से होगी अधिक पैदावार

 

किसानों के आय में भी होगी वृद्धि

 

सोयाबीन दलहनी फसलों में से एक है.

सोयाबीन की खेती सबसे ज्यादा भारत के मध्य प्रदेश राज्य में की जाती है.

वहीं, सोयाबीन को पीला सोना नाम से भी जाना जाता है.

 इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट एवं वसा प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं.

बता दें सोयाबीन में 38 – 40 % प्रोटीन पाया जाता है, 22 % तेल की मात्रा पाई जाती है एवं  21 % कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है.

 

बता दें, किसानों की आय को बढाने के लिए भारतीय कृषि वैज्ञानिक नयी तरह की किस्मों को विकसित करते रहते हैं.

जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो और फसल की अच्छी पैदावार भी हो.

इसी क्रम में भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की तीन नयी क़िस्मों को विकसित किया है, जिनसे किसान भाइयों को अच्छी पैदावार मिलेगी एवं उनकी आय में बढ़ोत्तरी होगी.

तो आइये जानते हैं-

 

सोयाबीन की उन्नत किस्में

कृषि वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की तीन उन्नत किस्में विकसित की है जोकि निम्नवत है-

  • एनआरसी 138,
  • केबीवीएस 1 (करुण),
  • एनआरसी 142 हैं

इन किस्मों की खास विशेषता यह है कि ये किस्में रोग प्रतिरोधी हैं एवं इनकी उपज भी अच्छी है.

 

एनआरसी 138 (NRC 138)

सोयाबीन की यह किस्म अन्य किस्मों से अधिक महत्वपूर्ण किस्म है.

इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस किस्म में तना छेदक एवं पीला मोजक का प्रकोप नहीं रहता है.

इस किस्म औसतन उपज 25-30 क्विंटल /हेक्टेयर है.

 

एनआरसी 142 (NRC 142)

सोयाबीन की यह किस्म 15 दिन में पककर तैयार हो जाती है.

इस किस्म की औसतन उपज 20 क्विंटल /हेक्टेयर है.

यह किस्म खाद्य गुणों के लिए काफी उपयुक्त मानी जा रही है.

 

केबीवीएस 1 (करुण) (KBVS 1 (Karun))

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित सोयाबीन की यह किस्म, जिसका नाम केबीवीएस 1 (करुण) है.

हरी फली वाली सोयाबीन की किस्म किसानों के लिए उपयुक्त है.

 

भारतीय कृषि अनुशंधान द्वारा विकसित की गई किस्में अच्छी पैदावार देंगी जिनसे किसान भाइयों को अच्छा मुनाफा मिलेगा.

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