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बदलती जलवायु में बढ़ानी है पैदावार तो किसान जरूर करें यह काम

Posted on May 22, 2022May 22, 2022

लागत में आएगी कमी और बढ़ेगी कमाई

 

जमीन से अच्छी पैदावार लेने के लिए खेतों का समतल होना बहुत जरूरी है.

जमीन की असमतलता, मृदा में नमी एवं पोषक तत्वों के वितरण को प्रभावित करती है.

 

बदलती जलवायु में किसानों के लिए खेती करनी थोड़ी मुश्किल होती जा रही है. मौसम में परिवर्तन के कारण लागत में बढ़ोतरी हो रही है और कमाई घट रही है.

इसी को देखते हुए कृषि वैज्ञानिक खेती के तौर-तरीकों में बदलाव की वकालत कर रहे हैं. इन बदलावों से किसान कम खर्च में अधिक कमाई करने में सक्षम हो रहे हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि अधिक पैदावार के लिए खेतों का समतल होना बेहद जरूरी है.

जमीन की असमतलता मृदा में नमी एवं पोषक तत्वों के वितरण को प्रभावित करती है, जिससे बीज के अंकुरण और फसल की उपज प्रभावित होती है. खेती की लागत कम करने के लिए भूमि का समतलीकरण जरूरी है.

 

कृषि विज्ञान केंद्र, परसौनी के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉक्टर अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि खेती लायक भूमि समतल होने से किसानों को काफी लाभ होगा.

समतल भूमि पर खेती करने से खेती की लागत कम होने के साथ समय की भी बचत होती है.

खेती लायक भूमि एक बार समतल हो जाने के बाद फसल बोने, उवर्रक व पानी देने आदि कार्यों में काफी लाभ मिलेगा.

खेती के अन्य आधुनिक मशीनों की तरह भूमि समतलीकरण के लिए भी लेजर लैंड लेवलर मशीनें आ चुकी हैं.

यह परंपरागत विधियों से एकदम हटकर एक अत्याधुनिक तकनीक है, जिसमें लेजर में लगे किरणों के द्वारा लेवलर को अपने आप नियंत्रित करके भूमि को बराबर मात्रा में समतल कर देते हैं.

 

मशीन के मुख्य भाग

लेजर लैंड लेवलर मशीन में कई भाग होते है जो इस प्रकार हैं…

  • लेजर ट्रांसमीटर
  • कंट्रोल रिसीवर
  • नियंत्रण इकाई
  • स्क्रैपर
  • हाइड्रोलिक नियंत्रण इकाई.

केंद्र के कृषि अभियंत्रण वैज्ञानिक इंजीनियर अंशू गंगवार ने बताया कि इस यंत्र का प्रयोग करने से पहले यह ध्यान रखने की जरूरत है कि खेत की गहरी व बारीक जुताई कर ली जाए और खेत में 5 प्रतिशत नमी हो.

खेत में खरपतवार वह फसल के अवशेष धान अथवा गेहूं का पुआल एवं घास आदि नहीं होना चाहिए.

यह यंत्र 50-60 हॉर्स पावर के ट्रैक्टर की सहायता से चलता है.

एक एकड़ भूमि को समतल बनाने के लिए लगभग दो से ढाई घंटे का समय लगता है.

यदि भूमि काफी ऊबड़-खाबड़ है तो इससे अधिक समय भी लग जाता है.

 

लेजर लैंड लेवलर से काम करें

केन्द्र के मृदा विशेषज्ञ आशीष राय ने कार्य विधि पर विस्तृत रूप से चर्चा करते हुए बताया कि…

  1. सबसे पहले लेजर स्टैंड को खेत के किसी एक किनारे पर खड़ा कर दिया जाता है.
  2. स्टैंड के ऊपर लेजर ट्रांसमीटर को फिट कर दिया जाता है.
  3. लेजर ट्रांसमीटर को 6 बोल्ट से 12 बोल्ट की बैटरी से करंट दिया जाता है.
  4. लेजर ट्रांसमीटर को ऑन करके एक तीन पैर वाले स्टैंड को सेट कर देते हैं.
  5. लेजर ट्रांसमीटर से निकलने वाली किरणें लेजर बीम से जुड़ जाते हैं.
  6. मशीन कंट्रोल रिसीवर, लेजर सेंसर, लेजर बीम को लेने के लिए लेवलर के ऊपर लगे लोहे की पाइप के ऊपर या नीचे उठाते हैं.
  7. जब लेजर सेंसर में हरी लाइट जलने लगती है तो उसी जगह रॉड को कस दिया जाता है.
  8. इस प्रकार कंट्रोल बॉक्स में हरी लाइट जलने लगती है.
  9. इसके बाद लेजर सेंसर को ऊपर उठाने पर लेवलर नीचे और नीचे गिराने पर लेवलर ऊपर आने लगता है.
  10. लेवलर को उसी तरीके से ऊपर नीचे उठाकर सेट कर सकते हैं.
  11. सेटिंग होने के पश्चात ट्रैक्टर को स्टार्ट करके अंदर से बाहर की ओर निकलते हुए गोलाई में चलाते हैं.

 

लेजर लैंड लेवलर द्वारा भूमि समतलीकरण से लाभ
  1. सिंचाई में जल की लगभग 30 से 35 प्रतिशत तक की बचत होती है.
  2. भूमि समतल रहने के कारण आधुनिक कृषि उपकरण जैसे जीरो टिलेज, हैप्पी सीडर, मल्टी क्रॉप प्लांटर, सुपर सीडर इत्यादि का प्रदर्शन अच्छा होता है.
  3. फसलों की पैदावार एक समान तथा 10 से 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है.

 

सावधानियां
  1. स्टैंड एवं लेजर ट्रांसमीटर को पैरों के बीच या बाग में सेट नहीं करना चाहिए.
  2. लेजर ट्रांसमीटर को बिजली के तार के नीचे नहीं सेट करना चाहिए.
  3. कोहरा होने पर लेजर ट्रांसमीटर सही से कार्य नहीं करता है, अतः कोहरा की स्थिति में लेजर लैंड लेवलर को नहीं चलाना चाहिए.
  4. बैटरी पूरी तरह से चार्ज होना चाहिए, बैटरी चार्ज नहीं है तो ट्रांसमीटर कार्य नहीं करेगा.

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