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सोयाबीन फसल को नुकसान से बचाने के लिए किसान इस तरह करें बुआई

कम या अधिक वर्षा की स्थिति में

 

पिछले कुछ वर्षों में मानसूनी बारिश की अनिश्चितताओं के चलते सोयाबीन की फसलों को काफी नुकसान होता रहा है।

जिसके चलते बहुत से किसानों ने तो सोयाबीन की खेती करना ही छोड़ दिया है।

सोयाबीन को अधिक वर्षा या कम वर्षा की स्थिति से बचाने के लिए किसान ऊंची क्यारी विधि या रिज एंड फरो विधि से ही सोयाबीन की बोनी करें।

इसके अलावा किसान बीज अंकुरण परीक्षण एवं उचित बीजोपचार करके ही सोयाबीन के बीजों की बुआई करें।

 

वैज्ञानिकों की सलाह मानें तो किसानों को सोयाबीन की बोवनी उपयुक्त समय पर ही करना चाहिए।

इसके लिए किसानों को मानसून आने के बाद न्यूनतम 100 मिमी वर्षा होने पर ही सोयाबीन की बुआई करनी चाहिए जिससे उगी हुई फसल को सूखा/कम नमी के कारण किसी प्रकार का नुक़सान नहीं होता।

 

क्यारी विधि या रिज एंड फरो विधि से बुआई के लाभ

इस विधि से बोनी करने से खेत में जल भराव एवं जल की अधिकता के कारण बीजों में होने वाले सडऩ, पौध विगलन की दर काफी कम हो जाती है तथा पौधों की वृद्धि में सोयाबीन का अन्य बोनी विधि की तुलना में अधिक होती है।

किसानों को उपलब्धता अनुसार अपने खेत में विपरीत दिशाओं में 10 मीटर के अंतराल पर सब–सोइलेर नमक यंत्र को चलाना चाहिए, जिससे भूमि की जल-धारण क्षमता में वृद्धि होगी एवं सूखे की अनपेक्षित स्थिति में फसल को अधिक दिन तक बचाने में सहायता मिलेगी।

 

बीजोपचार उपरांत ही बोनी करें

सोयाबीन का अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिये किसान प्रमाणित बीज का ही उपयोग करें तथा उचित बीजोपचार उपरांत ही बोनी करें।

बीज को फंफूदनाशक, कीटनाशक एवं राइजोबियम कल्चर से उपचारित कर ही बोनी करें।

सोयाबीन की अधिक फैलने वाली किस्मों के कतारों के बीच 40-45 से.मी. एवं कम फैलने वाले किस्मों के कतारों के बीज 30-35 से.मी. का अंतर रखना लाभप्रद होता है।

एक ही कतार में पौधे से पौधे की दूरी 10-12 से.मी. रखनी चाहिए जिससे हवा एवं प्रकाश पौधे के निचले भागों में सुचारू रूप से पहुंचते हैं।

जिनसे कीड़े व रोग लगने की आशंका कम हो जाती है।

 

बुआई के समय करें इतनी खाद का करें उपयोग

किसानों को सोयाबीन फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्वों (25 60:40:20)  किलोग्राम प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन, फ़ासफ़ोरस, पोटाश व सल्फ़र की पूर्ति बुआई के समय करनी चाहिए।

इसके लिए किसान इनमें से कोई भी एक उर्वरक का चयन कर सकते हैं:-

  • यूरिया 56 किलोग्राम + 375 किलोग्राम सुपर फास्फेट SSP + 67 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश MoP, अथवा
  • डी.ए.पी. 125 किलोग्राम +67 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश MoP + 25 किलोग्राम बेंटोनेट सल्फ़र, अथवा
  • मिश्रित उर्वरक जैसे 12:32:16 (200 kg/ha) या 20:20:13 (300 kg/ha) +25 kg बेंटोनेट सल्फ़र का छिड़काव कर सकते हैं।

यह भी पढ़े : अधिक पैदावार के लिए बुआई से पहले ज़रूर करें बीज अंकुरण परीक्षण

 

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