रबी सीजन की तैयारी में मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों को उर्वरक और बीज की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) मोहम्मद सुलेमान ने भोपाल और नर्मदापुरम संभाग की समीक्षा बैठक में कहा कि प्रदेश में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है, जिससे किसानों को किसी प्रकार की समस्या न हो।
उन्होंने कहा कि डीएपी की तरह एनपीके भी उच्च गुणवत्ता वाला है और इसमें फसलों के सभी जरूरी पोषक तत्व शामिल हैं।
किसानों को नहीं करना होगा इंतजार
बैठक में निर्देश दिया गया कि किसानों को नरवाई जलाने से बचाने के लिए जागरूक किया जाए और सुपर सीडर मशीन के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए।
इससे खेतों में नमी बचती है और बुवाई जल्दी होने से बेहतर उत्पादन मिलता है।
25 अक्टूबर से MSP पर सोयाबीन की खरीदी शुरू
बैठक में जानकारी दी गई कि 25 अक्टूबर से सोयाबीन की खरीदी शुरू होगी, जो 31 दिसंबर तक चलेगी। किसानों के लिए पंजीकरण का कार्य जारी है।
एपीसी ने कहा कि खरीदी केंद्रों पर सभी जरूरी इंतजाम किए जाएं, ताकि किसानों को परेशानी न हो।
साथ ही, टोकन व्यवस्था लागू कर किसानों को लंबी कतारों में खड़ा होने से बचाया जाएगा। जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त खरीदी केंद्र भी खोले जाएंगे।
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शून्य ब्याज पर फसल ऋण योजना का लाभ
अपर मुख्य सचिव सहकारिता श्री अशोक बर्णवाल ने निर्देश दिए कि सभी जिलों में रबी फसलों के लिए भी किसानों को शासन की शून्य प्रतिशत ब्याज पर फसल ऋण योजना का लाभ दिए जाना सुनिश्चित करें।
हर जिले में “वन स्टॉप सेंटर” बनाए जाएं, जहां किसानों को सारी सुविधाएं मिल सकें। समिति स्तर पर अल्पावधि ऋणों की वसूली बढ़ाई जाए।
जो प्राथमिक सहकारी समितियां ठीक से कार्य नहीं कर रही हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाए।
उन्होंने निर्देश दिए की पैक्स के ऑडिट का कार्य अक्टूबर तक पूर्ण किया जाए तथा नवीन पैक्स के गठन की कार्रवाई की जाए।
बताया गया कि ऋण महोत्सव के अंतर्गत आगामी 6 नवंबर तक किसानों को अ-कृषि ऋण वितरित किए जा रहे हैं।
रबी फसलों की बुवाई के लिए उर्वरकों की आपूर्ति सुनिश्चित
सचिव कृषि श्री सेलवेंद्रन ने बताया कि कृषि के क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश का अग्रणी राज्य है। दालों के उत्पादन में मध्यप्रदेश देश में 24 प्रतिशत उत्पादन के साथ प्रथम है।
अनाजों के उत्पादन में 12% उत्पादन के साथ देश में द्वितीय और तिलहन के उत्पादन में 20% उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर है।
प्रदेश की कृषि विकास दर 19 प्रतिशत है। देश में मध्यप्रदेश के सर्वाधिक 16.5 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती होती है।
उन्होंने बताया कि रबी 2024-25 के लिए प्रदेश में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है।
- रबी के लिए प्रदेश में कुल 16.43 लाख मीट्रिक टन उर्वरक उपलब्ध है,
- जिसमें 6.88 यूरिया,
- 1.38 डीएपी,
- 2.70 एनपीके,
- 4.08 डीएपी +एनपीके,
- 4.86 एसएसपी और
- 0.61 लाख मीट्रिक टन एमओपी उर्वरक उपलब्ध है।
- प्रदेश में रबी फसलों के अंतर्गत मुख्य रूप से चंबल एवं ग्वालियर संभागों में सरसों 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक,
- उज्जैन, इंदौर, भोपाल, सागर संभागों में चना, मसूर 20 अक्टूबर से 10 नवंबर तक,
- उज्जैन, इंदौर, भोपाल, चंबल, सागर, नर्मदापुरम में गेहूं 1 नवंबर से 30 नवंबर तक तथा
- जबलपुर, रीवा एवं शहडोल संभागों में गेहूं एवं चना की फसलों की बोनी 15 नवंबर से 31 दिसंबर तक की जाती है।
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