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फरवरी में उगाई जाने वाली टॉप 5 फसलें

 

टॉप 5 फसलें

 

जनवरी का महीना समाप्त होने जा रहा है और फरवरी बस आने को है, जो आपके खेत या किचन गार्डन में कई सब्जियां और फसलें उगाने का सबसे अच्छा महीना माना जाता है.

कई बार आप सोचते हैं कि क्या बोया जाए और क्या नहीं जिससे अच्छा लाभ प्राप्त किया जा सके.

वहीं मौसम और बाजार के समय को देखते हुए किसानों को फरवरी में इन फसलों की बुवाई करनी चाहिए ताकि बाजार में उनकी मांग के अनुसार अच्छी कीमत मिल सके.

 

फरवरी महीने में लाभ देने वाली फसलें

तोरई

बेलनाकार के रूप में भी जानी जाने वाली इस सब्जी की खेती भारत के लगभग सभी राज्यों में की जाती है.

बता दें कि तोरई के सूखे बीजों से भी तेल निकाला जा सकता है.

इसके अलावा, फल में पानी की मात्रा अधिक होने के कारण यह कई स्वास्थ्य लाभों के लिए भी जानी जाती हैं.

Torai Ki Kheti के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है और इसे सभी प्रकार की मिट्टी में जल निकासी बैक्टीरिया युक्त भी बोया जा सकता है.

तोरोई की खेती शुरू करने के लिए फरवरी सबसे अच्छा महीना है जिसकी बाजार में भी काफी मांग है.

 

तोरोई की उन्नत किस्में

पूसा स्नेह, काशी दिव्या, स्वर्ण प्रभा, कल्याणपुर हरि चिकनी, राजेंद्र तोरई 1, पंत चिकन तोरई 1 इसकी किस्मों में से हैं.

 

मिर्च

Mirch Ki Kheti खरीफ और रबी फसल के रूप में की जा सकती है. साथ ही इसे कभी भी लगाया जा सकता है.

खरीफ फसल के लिए बुवाई के महीने मई से जून हैं जबकि रबी फसलों के लिए वे सितंबर से अक्टूबर हैं.

और अगर आप उन्हें गर्मियों की फसल के रूप में लगाते हैं तो जनवरी और फरवरी अच्छे हैं.

 

मिर्च की उन्नत किस्में

मिर्च की उन्नत किस्म काशी अनमोल, काशी विश्वनाथ, जवाहर मिर्च-283, जवाहर मिर्च -218, अर्का सुफल तथा संकर किस्म काशी अर्ली, काषी सुर्ख या काशी हरिता शामिल हैं जो ज्यादा उपज देती हैं.

 

करेला

बाजार में काफी डिमांड के साथ-साथ करेला कई बीमारियों के लिए फायदेमंद है.

इससे किसान अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं. Karele Ki Kheti पूरे भारत में कई प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है.

अच्छी जल निकासी बैक्टीरिया वाली दोमट मिट्टी इसकी अच्छी वृद्धि और उत्पादन के लिए उपयुक्त मानी जाती है.

 

करेले की उन्नत किस्में

किसान फरवरी माह में करेले की पूसा टू सीजनल, पूसा स्पेशल, कल्याणपुर, प्रिया सीओ-1, एसडीयू-1, कोयंबटूर लॉन्ग, कल्याणपुर सोना, बारहमासी करेला, पंजाब करेला-1, पंजाब-14, सोलन हारा, सोलन और बारहमासी भी शामिल हैं.

 

लौकी

लौकी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और मिनरल वाटर के अलावा इनमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन भी होते हैं.

Lauki Ki Kheti पहाड़ी क्षेत्रों से लेकर मैदानी क्षेत्रों तक की जाती है. इसकी खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है.

सीधे खेत में बोने के लिए बीज बोने से पहले 24 घंटे के लिए पानी में भिगो दें. यह बीजों के अंकुरण की प्रक्रिया को गतिशील बनाता है.

इस प्रक्रिया के बाद बीज खेत में बोने के लिए तैयार हो जाते हैं.

 

लौकी की उन्नत किस्में

लौकी की किस्मों में पूसा शांति, पूसा संदेश (गोल फल), पूसा समृद्धि और पूसा हाइब्रिड 3, नरेंद्र रश्मी, नरेंद्र शिशिर, नरेंद्र धारीदार, काशी गंगा और काशी बहार शामिल हैं.

 

भिंडी

भिंडी या ‘लेडी फिंगर’ या ‘भिंडी’ भारत में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली और सेहतमंद सब्जियों में से एक है.

इसके अलावा, यह एक ऐसी सब्जी है जिसे देश के लगभग हर हिस्से में उगाया जा सकता है. 

Bhindi Ki Kheti के लिए तीन मुख्य रोपण मौसम फरवरी-अप्रैल, जून-जुलाई और अक्टूबर-नवंबर हैं.

वर्तमान में भिंडी की कई अच्छी किस्में हैं जो किसानों को अच्छी उपज देती हैं.

भिंडी की उन्नत किस्में

फरवरी माह में उगाई जाने वाली भिंडी की उन्नत किस्मों में पूसा ए-4, परभनी क्रांति, पंजाब-7, अर्का अभय, अर्का अनामिका, वर्षा उपहार, हिसार उन्नत, वी.आर.ओ.- 6 शामिल हैं.

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