कई ऑटाे कंपनियां कर रही तैयारियां
भारत सरकार ने सतत प्रोजेक्ट शुरू किया है. इस प्रोजेक्ट में सीबीजी से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा देना है.
सीबीजी का मतलब गाय के गोबर समेत अन्य एग्रीकल्चर वेस्ट से बनने वाली ऊर्जा है.
तो तय है कि भारत में भी गाय के गोबर समेत एग्रीकल्चर वेस्ट से जल्द ही ट्रेक्टर जैसे वाहन चलेंगे.
ब्रिटिश कंपनी बेनामन ने गाय के गोबर से चलने वाला दुनिया का पहला ट्रैक्टर विकसित किया है, जिसे देख पूरी दुनियां अचंभित है.
लेकिन, आपको यह जानकार हैरानी होगी कि भारत भी इस तकनीक पर पहले से ही काम कर रहा है.
जी हां, जल्द ही भारत में भी गाय के गोबर की ऊर्जा से चलने वाला ट्रैक्टर सड़कों और खेतों पर दौड़ता हुआ दिखाई दे सकता है.
इसके लिए भारत सरकार समेत कई ऑटो कंपनियों ने तैयारियां कर ली हैं.
आइये जानते हैं कि भारत में किस तकनीक से गाय के गाेबर से एनर्जी बनेगी और ट्रैक्टर समेत अन्य गाड़ियां इससे चलेंगी.
गाय के गोबर और एग्री वेस्ट से बनेगी सीबीजी
असल में गाय के गोबर समेत एग्री वेस्ट से कॉम्प्रेस्ड बायोगैस (CBG) बनाने को लेकर भारत सरकार ने सतत प्रोजेक्ट किया है.
इसी सीबीजी से ट्रैक्टर समेत अन्य गाड़ियां दौड़ेंगी.
इस संबंध में सोनालिका कंपनी के प्रेसिडेंट और सीटीओ कृष्ण तिवारी जानकारी देते हुए बताते हैं कि लंबे समय से भारत सीबीजी मॉडल पर काम कर रहा है.
उन्होंने बताया कि भारत सरकार सतत प्रोजेक्ट के माध्यम से सीबीजी और बाजार में सीबीजी की उपलब्धता को बढ़ावा देने का काम कर रही है.
कृष्णा तिवारी ने बताया कि सोनालिका कंपनी भी सीबीजी से चलने वाली ट्रैक्टर को विकसित करने का काम कर रही है, जो किसी भी कॉम्प्रेस्ड बायोगैस (जो भारत सरकार द्वारा प्रमाणित होगी) की मदद से चलाया जा सकेगा.
उन्होंने बताया कि सीबीजी का निर्माण गाय के गोबर या किसी भी एग्रीकल्चर वेस्ट से किया जा सकता है.
यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकल होता है और लागत भी कम लगती है.
क्या है सरकार का प्रोजेक्ट सतत
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री रह चुके धर्मेंद्र प्रधान ने 1 अक्टूबर, 2018 को नई दिल्ली में PSU तेल विपणन कंपनियों (OMCs, यानी IOC, BPCL और HPCL) के साथ एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) में एक अभिनव पहल SATAT की शुरुआत की थी.
इस पहल के तहत, उद्यमियों को कंप्रेस्ड बायो-गैस-सीबीजी उत्पादन संयंत्र स्थापित करने और ऑटोमोटिव ईंधन में सीबीजी के उपयोग के लिए बाजार में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है.
SATAT नाम की पहल का उद्देश्य किफायती परिवहन के लिए सतत विकल्प प्रदान करना है जो वाहन-उपयोगकर्ताओं के साथ-साथ किसानों और उद्यमियों दोनों को लाभान्वित करेगा.
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