ICAR के वैज्ञानिकों की तरफ से विकसित गेहूं की किस्म कई तरह से खास है.
अगर इसकी बुवाई अगर 20-25 अक्टूबर तक की जाए तो 100-110 दिनों में ही अनाज बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और फरवरी से मार्च के बीच इसके लिए एक लंबा समय भी मिलेगा.
अब गर्मी से प्रभावित नहीं होगा गेहूं का उत्पादन
फरवरी में बढ़ती गर्मी की वजह से गेंहू के उत्पादन को लेकर चिंतित किसानों के लिए एक अच्छी खबर है.
आईसीएआर के वैज्ञानिकों गेंहू की एक ऐसी उन्नत किस्म विकसित की है, जो गर्मी भी बर्दास्त कर सकती है.
मसलन, बढ़ती गर्मी को झेल कर भी गेहूं की ये किस्म उत्पादन देने में सक्षम है. ये किस्म इसलिए जरूरी हो गई है.
क्योंकि पिछले साल समय से पहले गर्मी पड़ने के कारण गेहूं की फसल को काफी नुकसान हुआ था. इस साल भी किसान डरे हुए हैं.
क्योंकि प्रमुख गेंहू उत्पादक क्षेत्रों में अभी भी तापमान सामान्य से तीन से चार डिग्री बढ़ा हुआ है.
ICAR के वैज्ञानिकों ने विकसित की नई किस्में
इस साल गेंहू के बंपर उत्पादन की उम्मीद की जा रही है.
इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने गेहूं की फसल पर बढ़ते गर्मी के प्रभाव को देखने के लिए एक कमेटी का गठन किया है.
अभी भी अनिश्चितता बरकर है क्योंकि सभी इलाकों में गेहूं की फसलों की कटाई अभी तक नहीं हुई है.
वहीं पिछले साल मार्च महीने में ही अचानक बढे थे. इसके कारण उत्पादन में कमी आई थी, इसके सरकार के स्टॉक पर भी प्रभाव पड़ा था.
हालांकि कृषि वैज्ञानिक यह कह रहे है कि इस बार पिछले बार की तरह की स्थिति नहीं होगी.
बढ़ते तापमान का नहीं होगा असर
गेंहू फसल के परिपक्व होने की अवधि 140 से 145 दिनों की होती है.
इसके कारण किसान जब इसकी खेती करने के लिए खरीफ फसल की कटाई के बाद इसे लगाते हैं तो फिर इसे परिपक्व होने में लंब समय लगता है और गर्मी पहुंच जाती है.
इस समस्या से निजात पाने के लिए वैज्ञानिकों ने गेहूं की किस्मों को “माइल्ड वर्नालाइजेशन रिक्वायरमेंट” या फूलों की शुरुआत के लिए कम सर्दियों के तापमान की एक निश्चित न्यूनतम अवधि की आवश्यकता के साथ विकसित किया है.
जल्द तैयार हो जाती है गेहूं की फसल
यह गेहूं की एक ऐसी किस्म होगी, जिसकी बुवाई अगर 20-25 अक्टूबर तक की जाए तो 100-110 दिनों में ही अनाज बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और फरवरी से मार्च के बीच इसके लिए एक लंबा समय भी मिलेगा.
क्योंकि जब शुरुआती दौर में दाने तैयार होते हैं तो उस वक्त तापमान 30 डिग्री के आस-पास होना चाहिए.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक प्रधान वैज्ञानिक राजबीर यादव ने बताया कि जल्दी बुवाई के वावजूद जल्दी नहीं बढ़ने से नई किस्में अनाज के वजन के साथ साथ अधिक बायोमास जमा करने में सक्षम होती हैं, साथ ही यह और ये गर्मी को मात दे सकते हैं.
गेहूं की तीन किस्में
आईएआरआई के वैज्ञानिकों ने ऐसी गेंहू की तीन किस्में विकसित की हैं, जिनमें सभी जीनों को शामिल किया गया है.
HDCSW-18 गेंहू की एक ऐसी की किस्म है, जिसे 2016 में अधिसूचित किया गया था.
2022 में इसकी दूसरी किस्म एचडी 3410 जारी की गई, इसकी उत्पादन क्षमता अधिक थी.
इसके बाद तीसरा किस्म एचडी 3385 जारी किया गया है. इसका उत्पादन भी काफी अच्छा होने की उम्मीद है.
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