हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

क्या है फसल बीमा योजना, कैसे मिलता है इसका लाभ

Fasal Bima Yojana अगर आप भी खेती-बाड़ी से जुड़े हुए हैं तो आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि,

अगर मौसम की मार से फसल खराब हो जाती है तो आपके नुकसान की पूरी भरपाई हो जाएगी।

इसके लिए फसल बीमा योजना की शुरुआत की गई है।

 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

भारत के ज्यादातर लोगों का व्यवसाय अब भी खेती है। तकनीक के इतने विकास के बाद भी ज्यादातर किसान बारिश पर ही निर्भर करते हैं।

ऐसे में कई बार अचानक होने वाली भारी बारिश, सूखा, तूफान या किसी अन्य तरह की प्राकृतिक आपदा से फसलों के खराब होने का खतरा बना रहता है।

इसका पूरा नुकसान किसानों को उठाना पड़ता है।

इन्हीं अनिश्चितताओं के कारण होने वाले वित्तीय नुकसानों से किसानों को बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की गई है, जो इस स्थिति में उनको वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

 

क्या है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

बारिश, तापमान, पाला, नमी आदि जैसी स्थिति में किसानों को बहुत नुकसान होता है।

इससे बचने के लिए किसान को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बहुत कम पैसे देकर अपनी फसल का बीमा करवाने की सुविधा मिलती है।

बीमा कवरेज के तहत अगर बीमित फसल नष्ट हो जाती है तो इसकी पूरी भरपाई जा जिम्मा बीमा कंपनी का होता है।

इस बीमा के तहत खाद्य फसलें (अनाज, बाजरा और दालें), तिलहन और वार्षिक वाणिज्यिक / वार्षिक बागवानी फसलें को कवर किया जाता है।

कैसे कर सकते हैं आवेदन?

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत आवेदन करने के लिए किसान किसी भी बैंक का बीमा करवा सकते हैं।

इसके लिए उन्हे बैंक जाकर बस एक फॉर्म भरना पड़ता है और फिर उनके फसलों का बीमा हो जाता है।

हालांकि, किसानों को अपने जमीन और अन्‍य कागजात को बैक के पास जमा करना पड़ता है।

दूसरी तरफ, अगर किसानों के पास पहले से किसी तरह का लोन या क्रेडिट कार्ड बनवा है तो वे उस बैंक से ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा करवा सकते हैं।

 

कैसे मिलेगा बीमा का क्लेम?

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का क्लेम लेने के लिए किसानों को सबसे पहले 72 घंटे के भीतर कृषि विभाग को फसल खराब होने की जानकारी देनी होती है।

इसके बाद आवेदन करना होता है। फॉर्म में फसल खराब होने का कारण, कौन-सी फसल बोई गई थी, कितने क्षेत्र में फसल बर्बाद हुई हैं, इन सब बातों का ब्यौरा देना होता है।

उन्हें जमीन से संबंधित जानकारी भी देनी होती है। इसके आलवा, बीमा पॉलिसी की फोटोकॉपी की जरूरत होती है।

आवेदन करने के कुछ दिनों के बाद बीमा कंपनी के प्रतिनिधि और कृषि विभाग के कर्मचारी खेत का निरीक्षण कर नुकसान का आकलन करते हैं और सब कुछ सही पाए जाने पर किसान के बैंक अकाउंट में बीमा का पूरा क्लेम डाल दिया जाता है।

 

इन बातों को न करें नजरअंदाज

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के शुरुआती दिनों में इसे सभी किसानों के लिए अनिवार्य बनाया गया था, लेकिन बाद में इस नियम को हटा दिया गया।

अब किसान अपनी मर्जी से इस योजना के तहत बीमा करवा सकते हैं।

हालांकि, जोखिम के स्तर को कम करने के बावजूद यह योजना किसानों में उतनी लोकप्रिय नहीं हो रही है।

इसके पीछे का कारण है जोखिम उठाने वाले किसान और जोखिम न उठाने वाले किसानों के लिए अलग-अलग पॉलिसी नहीं है।

साथ ही, बीमा प्रीमियम का निर्धारण भी सही से नहीं किया गया है, जिससे अलग-अलग बैंकों में यह दरें भिन्न हो सकती हैं।

इन वजहों से फसल बीमा योजना भारतीय किसानों का विश्वास नहीं जीत पा रही है।

यह भी पढ़े : किसान इन योजनाओं का उठाएं फायदा

 

यह भी पढ़े : कर्जदार किसानों को मध्य प्रदेश सरकार ने बजट में दिया तोहफ़ा

 

शेयर करें