किसानों को प्रशिक्षित कर प्रदर्शनियों में करा रहे शामिल
जोहा चावल की खेती साली/खरीफ मौसम में होती है.
इसमें शामिल प्रमुख जोहा किस्में हैं कोला जोहा, केटेकी जोहा, बोकुल जोहा, कुंकुनी जोहा.
APART ने कहा कि परियोजना बीज प्रदान करती है.
विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित असम कृषि व्यवसाय और ग्रामीण परिवर्तन परियोजना (APART) प्रीमियम गुणवत्ता वाले चावल (PQR) विशेष रूप से जोहा को बाजार के आधार पर प्रमोट कर रहा है.
इसे प्रदशर्नी में शामिल किया जा रहा. इसमें सर्वोत्तम प्रबंधन प्रथाओं (बीएमपी) और अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान की तकनीकी टीम का सहयोग मिल रहा है.
कृषि विभाग और असम कृषि विश्वविद्यालय (AAU) के वैज्ञानिक पैकेज ऑफ प्रैक्टिस (PoP) के साथ इसका प्रदर्शन कर रहे हैं.
जोहा चावल की खेती साली/खरीफ मौसम में होती है.
इसमें शामिल प्रमुख जोहा किस्में हैं कोला जोहा, केटेकी जोहा, बोकुल जोहा, कुंकुनी जोहा.
APART ने कहा कि परियोजना बीज प्रदान करती है.
एकीकृत फसल प्रबंधन प्रदर्शनों और शिक्षण केंद्र प्रदर्शनों में लाभार्थी किसानों को उर्वरक और आवश्यकता आधारित कीटनाशक, जबकि मिनी किट में किसानों को केवल बीज उपलब्ध कराया जाता है.
किसान बीज बेच सकते हैं
एकीकृत फसल प्रबंधन प्रदर्शनों का कुल बजट 6000 रुपए (0.3 हेक्टेयर) है, जबकि शिक्षा केंद्र प्रदर्शनों के लिए बजट 31000 रुपए है, जिसमें कटाई के समय एक फील्ड डे/फसल शो शामिल है.
बाजार में बीज की कीमत 50-60 रुपए प्रति किलोग्राम के बीच होती है.
इसमें आगे कहा गया है कि गैर-पुरानी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लाभार्थी किसानों को दी जाने वाली प्रीमियम गुणवत्ता वाले चावल की किस्मों का बीज अच्छी गुणवत्ता का है.
चावल की पारंपरिक किस्मों का बीज प्रमाणित नहीं होता है, इसलिए लाभार्थी किसान इसे बीज के रूप में एक किसान से दूसरे किसान तक बीज के प्रसार के लिए बेच सकता है.
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