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16 लाख हेक्टेयर की सोयाबीन खतरे की जद में

म.प्र. में गत दिनों हुई मूसलाधार बारिश ने तबाही मचा दी है। राज्य के अधिकांश जिलों में बाढ़ की स्थिति निर्मित हो गई है। प्रारंभिक आकलन के मुताबिक लगभग 7 लाख हेक्टेयर की फसलें चौपट हो गई है यह आंकड़ा अभी और बढ़ेगा जब सर्वे पूरा होगा। कृषि एवं राजस्व विभाग के अधिकारी सर्वे कर रहे हैं। 10 जिलों में बाढ़ का असर अधिक हुआ है यहां खेत पूरी तरह जलमग्न हो गये हैं।

 

इसमें देवास, हरदा, होशंगाबाद, सीहोर, रायसेन, विदिशा, बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा एवं खण्डवा शामिल है। इन जिलों में कुल 16.58 लाख हेक्टेयर में बोई गई सोयाबीन एवं 8.30 लाख हेक्टेयर में बोई गई धान फसल खतरे की रडार पर है। इन जिलों में फसलों को शत प्रतिशत नुकसान भी हो सकता है।

 

उल्लेखनीय है कि चालू खरीफ में राज्य में 143 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फसलें बोई गई है। इनमें सोयाबीन 58.49 लाख हेक्टेयर में एवं धान 28.62 लाख हेक्टेयर में बोई गई है इसमें से बाढ़ प्रभावित उक्त 10 जिलों में कुल 36.17 लाख हेक्टेयर रकबा आता है जहां सभी फसलों की बोनी की गई है, इसमें सोयाबीन (बालाघाट जिले को छोड़कर) कुल 16 लाख 58 हजार हेक्टेयर में एवं धान की (देवास जिले को छोड़कर) कुल 8.30 लाख हेक्टेयर में बोनी हुई है।

 

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बाढ़ प्रभावित 10 जिलों में विदिशा जिले में सबसे अधिक 3.75 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोई गई है जबकि जिले का कुल खरीफ रकबा 5.29 लाख हेक्टेयर कवर हुआ है तथा सबसे कम छिंदवाड़ा जिले में कवर किए गए कुल रकबे 4.79 लाख हेक्टेयर में से मात्र 51 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन बोई गई है।

 

इसी प्रकार 10 जिलों में से सबसे अधिक धान बालाघाट जिले में 2.54 लाख हेक्टेयर में बोई गई है जबकि 2.86 लाख हेक्टेयर कुल रकबा खरीफ में कवर हुआ है।

 

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