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कृषि निर्यात में आया तेज उछाल

 

18 प्रतिशत की वृद्धि के साथ एक्सपोर्ट 10 अरब डॉलर तक पहुंचा

 

वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही में एपीडा ने 8.51 अरब डॉलर का निर्यात किया था.

इस बार यह 10 अरब डॉलर तक पुहंच गया है. गेहूं, मक्का, मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों के निर्यात में काफी तेजी देखी गई है.

 

भारत से कृषि निर्यात में काफी उछाल देखा जा रहा है. 18 प्रतिशत की वृद्धि के साथ एक्सपोर्ट का आंकड़ा 10 अरब डॉलर तक पहुंच गया है.

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में इस वित्त वर्ष में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई है.

एपीडा के माध्यम से 37 कृषि और प्रसंस्कृत उत्पादों का निर्यात किया जाता है.

 

वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही में एपीडा ने 8.51 अरब डॉलर का निर्यात किया था.

इस बार यह 10 अरब डॉलर तक पुहंच गया है. गेहूं, मक्का, मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों के निर्यात में काफी तेजी देखी गई है.

 

मक्का और गेहूं के निर्यात में दिखा सबसे अधिक उछाल

विशेषज्ञों का कहना है कि निर्यात की इस गति को बनाए रखने में वित्त वर्ष के दूसरे हिस्से में चुनौती आएगी, क्योंकि सितंबर में निर्यात में सिर्फ 4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.

बासमती और गैस बासमती चावल के निर्यात में रिकॉर्ड 12.3 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.

लेकिन 110 प्रतिशत की रिकॉर्ड उछाल मक्का और गेहूं के निर्यात में देखने को मिली है.

 

वित्त वर्ष 22 की पहली छमाही के दौरान मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात 20.7 प्रतिशत बढ़कर 1.9 बिलियन डॉलर हो गया.

इसी तरह, काजू निर्यात में 31.6 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि हुई.

ताजे फलों और सब्जियों के निर्यात में 8.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों का एक्सपोर्ट 34 प्रतिशत तक बढ़ा.

 

‘कोविड प्रतिबंधों के बीच हासिल किया यह मुकाम’

फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एपीडा के अध्यक्ष एम अंगमुथु ने कहा कि कृषि निर्यात में महत्वपूर्ण वृद्धि को देश के कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने पर जोर देकर किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूप में देखा जा सकता है.

 

उन्होंने कहा कि एपीडा द्वारा की गई पहल ने देश को ऐसे समय में यह मुकाम हासिल करने में मदद की, जब कोविड -19 महामारी की दूसरी लहर के फैलने के बाद लगाए गए प्रतिबंधों के कारण अधिकांश व्यावसायिक गतिविधियों को भारी झटका लगा.

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