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नैनो यूरिया के बाद अब IFFCO लॉन्च करेगी नैनो DAP

नैनो DAP

 

नैनो यूरिया के बाद अब IFFCO जल्द लॉन्च करेगी नैनो DAP नैनो डीएपी के विषय में सब कुछ जानिए,

 

सरकार ने बीते वर्ष नैनो यूरिया लांच किया था अब इसी तर्ज पर नैनो डीएपी लांच किए जाने की कवायद चल रही है।

इफ्को के मुताबिक कंपनी नैनो-पोटाश, नैनो-जिंक और नैनो-कॉपर उर्वरक भी लाने की योजना बना रही है।

कंपनी ने हाल ही में नैनो लिक्विड यूरिया भी पेश किया है।‌‌

नैनो लिक्विड यूरिया पेश करने के बाद सहकारी संस्था इफ्को का लक्ष्य जल्द ही नैनो डीएपी फर्टिलाइजर उतारने का है।

 

खेती में लागत कम होगी

सरकार द्वारा नैनो डीएपी लांच किए जाने का एक ऐसा कदम है जो भारत को विदेशी मुद्रा की बचत करने और सरकारी सब्सिडी को भी काफी कम करने में मदद करेगा।

यह नैनो डीएपी किसानों के लिए खेती को काफी आसान बनाएगा वहीं लागत भी कम करेगा, इफ्को का लक्ष्य 600 रुपये में आधा लीटर नैनो डीएपी उर्वरक को बाजार में उतारने का है।

इफ्को के प्रबंध निदेशक यू एस अवस्थी ने डिजिटल मीडिया मंच ‘रूरल वॉयस’ द्वारा आयोजित एक कृषि सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इफ्को नैनो-पोटाश, नैनो-जिंक और नैनो-कॉपर उर्वरक भी लाने की योजना बना रही है।

 

सरकारी सब्सिडी नहीं मिलती है

जानकारी के अनुसार अब तक नैनो यूरिया की 4.85 करोड़ बोतलों की बिक्री हुई है।

गौरतलब है कि जून 2021 में सहकारी संस्था इफ्को ने पारंपरिक यूरिया के विकल्प के रूप में नैनो यूरिया को तरल रूप में पेश किया।

इसने नैनो यूरिया का उत्पादन करने के लिए विनिर्माण संयंत्र भी स्थापित किए हैं।

अवस्थी ने कहा कि इफ्को ने अब तक नैनो यूरिया की पांच करोड़ बोतलों का उत्पादन किया है, जिनमें से 4.85 करोड़ बोतलें बेची जा चुकी हैं।

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि नैनो यूरिया की कीमत पारंपरिक यूरिया से कम है और यह अधिक प्रभावी और सुविधाजनक भी है. नैनो यूरिया पर कोई सरकारी सब्सिडी नहीं है और इसे 240 रुपये प्रति बोतल की दर से बेचा जा रहा है।

 

किसानों का ऐसे फायदा होगा

इफको के प्रबंध निदेशक ने कहा कि कंपनी ने नैनो डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) भी विकसित किया है और इस उत्पाद को बाजार में पेश करने के लिए सरकार की मंजूरी के लिए पहले ही आवेदन कर चुकी है।

उन्होंने घोषणा की कि नैनो-डीएपी की आधा लीटर की बोतल 600 रुपये में बेची जाएगी.

इसकी एक बोतल डीएपी के एक बैग के बराबर होगी, जिस डीएपी बैग की कीमत 1,350 रुपये है. यानि किसानों की लागत भी घटेगी।

 

कहां बनाए जा रहे हैं प्लांट

कृषि क्षेत्र के जानकारों को उम्मीद है कि नैनो यूरिया की तरह ही डीएपी को भी किसान अपना लेंगे.

इसे आने के बाद किसानों को दोनों प्रमुख खादों यूरिया और डीएपी का फसलों पर स्प्रे करना पड़ेगा।

नैनो यूरिया, नैनो डीएपी और नैनो सूक्ष्म पोषक तत्वों के उत्पादन के लिए आंवला, फूलपुर, कलोल (विस्तार), बंगलुरु, पारादीप, कांडला, देवघर और गुवाहाटी में प्रोडक्शन प्लांट बनाने का काम चल रहा है।

इनमें उत्पादन शुरू होने के बाद डीएपी की किल्लत नहीं होगी।

पिछले रबी सीजन में किसानों ने डीएपी की भारी किल्लत झेली है।

देश में 313000 टन डीएपी की खपत है।

 

लोगो को मिलेगा रोजगार

इन सभी यूनिटों की उत्पादन क्षमता 2 लाख बोतल प्रति दिन की होगी।

इनकी स्थापना के लिए कुल 3000 करोड़ का निवेश किया जाएगा। जिसमें से 720 करोड़ की रकम पहले से ही आवंटित है।

दावा है कि इन प्लांटों से लगभग 1000 लोगों को रोजगार मिलेगा।

गुजरात की कलोल यूनिट में ही शुरुआती दौर में नैनो डीएपी और नैनो जिंक, कॉपर, सल्फर बोरान की बोतलें तैयार होंगी।

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