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गेहूं की कटाई के बाद 50 से 60 दिनों में होने वाली फसल लगा सकते हैं किसान

 

गेहूं की कटाई के बाद क्या करें?

 

किसान गेहूं की कटाई के बाद कम खर्च और कम अवधि वाली फसलें लगाकर भी खेती को लाभ का धंधा बना सकते हैं।

 

अक्सर किसानों के मन में यह सवाल रहता है कि गेहूं की कटाई के बाद क्या करें?

कौन सी फसल से लाभ ले सकते हैं। कम पानी में कौन सी फसल कर सकते हैं, तो इसका उत्तर नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय अयोध्या उत्तर प्रदेश के कृषि वैज्ञानिक एसपी सिंह दे रहे हैं। कृषि वैज्ञानिक श्री सिंह कहते हैं।

 

अधिकतर किसान गेहूं काटने के बाद खरीफ की बुवाई तक के लिए खेत को खाली छोड़ देते हैं।

अगर इसी दौरान किसान कम अवधि वाली लौकी, तोरई, कद्दू, टमाटर, बैंगन, बाजरा, मैंथा जैसी फसलों की बुवाई करें तो इससे अच्छी आमदनी हो सकती है।

 

वैज्ञानिकों और सफल किसानों की सलाह

उड़द :- उड़द के पंच तारकेश में की बुवाई इस समय की जाती है यह 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाती है।

और प्रति बीघा एक से डेढ़ कुंटल की पैदावार होती है। प्रति बीघा में कुल खर्च 250 से 300 रुपए आता है।

 

बैंगन :- बैगन कि ग्रीष्मकालीन फसल के लिए जनवरी-फरवरी में शरद कालीन फसल के लिए जुलाई-अगस्त में एवं वर्षा कालीन फसल के लिए अप्रैल में बीजों की बुआई की जानी चाहिए।

एक हेक्टेयर खेत में बैगन की रोपाई के लिए समान्य किस्मों का 250-300 ग्रा. एवं संकर किस्मों का 200-250 ग्रा, बीज पर्याप्त होता है।

 

मक्का :- किसान इस समय मक्के की पायनियर 1844 किस्म की बुवाई कर सकते हैं यह किस्म दूसरी किस्मों के मुताबिक कम समय के साथ-साथ अच्छी पैदावार भी देती है।

 

मूंग :- किसान सम्राट किस्म की मूंग की बुवाई कर सकते हैं यह 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाता है, और डेढ़ से दो क्विंटल प्रति बीघा के हिसाब से इसकी पैदावार होती है, इसमें प्रति बीघा कुल खर्चा 400-500 रुपए आता है।

 

यह फसलें भी है लाभदायक

टमाटर :- यह कम समय में लगने वाली नगदी फसलों में शामिल होती है।

जो कि कम लागत में अधिक लाभ देने वाली फसल है यह 50 से 60 दिनों में तैयार हो जाती हैं।

 

मेंथा :- कम समय में लगने वाली नगदी फसलों में मेंथा भी शामिल है।

इस स्थिति में मैंथा ‘सिम क्रांति’ किस्स लगाना किसानों के लिए उचित होगा, क्योंकि यह किस्म में बाकी प्रजातियों से प्रति हेक्टेयर 10 से 12 फीट ज्यादा तेल देगी।

सीमैप के वैज्ञानिक के मुताबिक मौसम में जब छुटपुट बारिश हो जाती है तो उसके प्रति यह प्रतिरोधी है यानी कम या ज्यादा बरसात होने पर इसकी उपज में अंतर नहीं पड़ेगा।

source : choupalsamachar

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