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अधिक पैदावार के लिए कृषि विश्वविद्यालय ने 8 फसलों की 10 किस्में की जारी

 

8 फसलों की 10 नई विकसित किस्में जारी

 

कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा लगातार नई किस्में विकसित की जा रही हैं|

यह किस्में न केवल रोगों के प्रतिरोधी होती है बल्कि इनकी उत्पादक क्षमता भी अधिक होती हैं|

ऐसी ही कुछ किस्में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के द्वारा तैयार की गई हैं|

फसल मानकों, अधिसूचना एवं फसल किस्मों के विमोचन की केन्द्रीय उप समिति ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित 8 फसलों के 10 नये किस्मों को अनुमोदन दे दिया है।

 

15 से 20 फीसदी अधिक है उत्पादन क्षमता

वर्तमान में प्रयोग में लाए जा रहे किस्मों की तुलना में इन नये उन्नत किस्मों की उत्पादन क्षमता 15 से 20 प्रतिशत अधिक है।

इन नए प्रभेदों के प्रयोग से झारखण्ड राज्य में कृषि उत्पादन और उत्पादकता में काफी वृद्धि होगी।

फसलों का आच्छादन भी बढ़ेगा। इन किस्मों की परिपक्वता अवधि कम रहने के कारण फसल गहनता भी बढ़ेगी।

धान की कटाई के बाद परती खेतों का उपयोग भी हो सकेगा।

कम पानी में भी किया जा सकेगा उत्पादन

आनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सोहन राम ने बताया कि वैज्ञानिकों द्वारा वर्षों के प्रयोग परीक्षण एवं शोध के बाद विकसित 10 उन्नत फसल प्रभेद अधिक उपज देने वाली, शीघ्र परिपक्व होने वाली, कम पानी की जरूरत वाले और विभिन्न कीट-रोगों के प्रति सहिष्णु है।

इनमें उड़द, अरहर, सोयाबीन, सरसों, बेबी कॉर्न (मक्का), मड़ुआ की एक-एक तथा तीसी की 3 किस्में शामिल हैं।

अब बीएयू के पौधा प्रजनकों, निदेशालय बीज एवं प्रक्षेत्र, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्रों, कृषि विज्ञान केंद्रों एवं झारखंड के बीच ग्रामों द्वारा इन फसल प्रभेदों के प्रजनक बीज, आधार बीज और सत्यापित बीज उत्पादन में तेजी लाई जाएगी, ताकि प्रदेश के किसानों के बीच इनकी उपलब्धता शीघ्र हो सके।

 

जारी की गई किस्में एवं उनकी विशेषताएं

बिरसा गेहूं – 4 (जेकेडब्लू) :

गेहूं के इस प्रभेद की उत्पादन क्षमता 51.72 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। फसल लगभग 110-130 दिनों में परिपक्व होती है।

यह सूखा एवं ताप सहिष्णु और रोग प्रति किस्म है। इसके दाने में 11% प्रोटीन और उच्च आयरन एवं जिंक की मात्रा विद्यमान होती है।

यह किस्म पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिम उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर के तराई क्षेत्रों के लिए भी उपयुक्त है।

 

बिरसा उड़द-2

उड़द के इस प्रभेद की उत्पादन क्षमता 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। फसल लगभग 82 दिनों में परिपक्व होती है।

एक फली में 6-7 बड़े भूरे दाने होते हैं। सर्कोस्पोरा, लीफ स्पॉट और जड़ विगलन रोग के प्रति प्रतिरोधी है तथा एफिड का न्यूनतम प्रकोप होता है।

 

बिरसा अरहर-2

अरहर के इस दलहनी प्रभेद में प्रोटीन की मात्रा 22.48 प्रतिशत है। इसका अंडाकार दाना भूरे रंग का होता है।

इसकी उत्पादन क्षमता 27.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। परिपक्वता अवधि 235-240 दिन है। विल्ट और बोरर के प्रति प्रतिरोधक है।

 

बिरसा सोयाबीन-3

सोयाबीन के इस किस्म का बीज हल्का पीला रंग का अंडाकार होता है। इसमें तेल की मात्रा 19% और प्रोटीन 38.8 प्रतिशत होती है।

उत्पादन क्षमता 27.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा परिपक्वता अवधि 115-120 दिन है।

विभिन्न रोगों के और कीड़ों के प्रति सहिष्णु है। भुआ पिल्लू का प्रकोप नहीं होता है।

 

बिरसा भाभा मस्टर्ड-1

बीएयू एवं भाभा आणविक अनुसंधान केंद्र के संयुक्त सहयोग से विकसित सरसों के इस प्रभेद का दाना बड़े आकार का होता है।

तेल की मात्रा लगभग 40% है। अल्टरनरिया ब्लाइट, व्हाइट रस्ट और एफिड के प्रति सहिष्णु है।

112-120 दिनों में परिपक्व होने वाली इस किस्म की उत्पादन क्षमता 14.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

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