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रबी सीजन में करिए इन औषधीय पौधों की खेती

 

कृषि विश्वविद्यालय दे रहा किसानों को उन्नत बीज

 

औषधीय पौधों को अलग खेत में लगाने की जरूरत नहीं है बल्कि आम फसलों के साथ ही इन्हें बोया जा सकता है.

इस तरह खेती कर किसान अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं.

 

हरियाणा में अश्वगंधा, हल्दी, गिलोय, चंद्रसूर और इसबगोल जैसे कई तरह के औषधीय पौधे उगाए जाते हैं.

अभी रबी का मौसम है. इस समय चंद्रसूर और इसबगोल की खेती का मौसम है.

नवंबर का महीना इनकी बुवाई के लिए सबसे सही समय है. अगर किसान भाई चंद्रसूर की खेती करने जा रहे हैं तो इसके लिए उन्हें किसी विशेष तकनीक की जरूरत नहीं पड़ेगी.

इसे सरसों की तरह ही बोया जाता है. एक एकड़ खेत में चंद्रसूर की बुवाई करने के लिए 2 किलो बीज पर्याप्त होता है.

 

किसानों को एक बात का ध्यान रखना होता है कि वे उत्तम गुणवत्ता वाले बीज का चुनाव जरूर करें.

हरियाणा के किसानों के लिए चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार बीज के सबसे उपयुक्त स्थान है.

यहां से किसान सत्यापित बीज प्राप्त कर सकते हैं.

 

अगले साल से टिश्यू कल्चर से तैयार पौधे भी मिलेंगे

चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के औषधीय संभाल के सहायक वैज्ञानिक डॉ राजेश कुमार आर्य कहते हैं कि किसान से लेकर बीज बनाने वाली सरकारी एजेंसी तक हमारे यहां से ही बीज लेकर जाते हैं.

हालांकि इसके लिए एक साल पहले बताना होता है. इसके अलावा यूनिवर्सिटी में टिश्यू कल्चर का सेंटर भी है, जहां पर काम चल रहा है.

वैज्ञानिक डॉ राजेश आर्य ने बताया कि अगले साल से टिश्यू कल्चर से तैयार पौधे भी किसान प्राप्त कर पाएंगे.

इस दिशा में हम तेजी से काम कर रहे हैं.

 

अगर आप इसबगोल की खेती करने की योजना बना रहे हैं तो उसके लिए भी यह अनुकूल समय है.

इसबगोल के पौधे गेहूं से मिलते जुलते होते हैं. गेहूं की तरह ही इस पर एक छोटी से बाली आती है, जिसपर बीज लगता है.

इसबगोल पाचन तंत्र को मजबूत बनाने का काम करती है.

 

रबी फसलों के साथ खेती से कर सकते हैं अतिरिक्त कमाई

किसान इसबगोल की किस्म एचएफ-5 की खेती कर सकते हैं.

चंद्रसूर की तरह ही इसबगोल की एक एकड़ में खेती के लिए 2 किलो बीज की जरूरत होती है.

डॉ राजेश आर्य बताते हैं कि इसबगोल की मार्केट में काफी डिमांड है और इसकी प्रोसेसिंग करने में भी ज्यादा कुछ नहीं करना पड़ता है.

हरियाणा के दक्षिणी-पश्चिमी क्षेत्र में इसबगोल की खेती आराम से हो सकती है.

 

डॉ आर्य के मुताबिक, एक एकड़ से 4 से 6 क्विंटल इसबगोल के बीज प्राप्त होते हैं.

वहीं बीज से 1 से सवा क्विंटल तक भूसी प्राप्त होती है, जिसका इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है.

औषधीय पौधों को अलग खेत में लगाने की जरूरत नहीं है बल्कि आम फसलों के साथ ही इन्हें बोया जा सकता है.

मिसाल के तौर पर एलोवेरा को बाग में, गिलोय को खेत के चारोतरफ और सतावार को खेत के अगल-बगल में लगा सकते हैं.

इससे खेत में लगी फसल की सुरक्षा भी होगी. इस तरह खेती कर किसान अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं.

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