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कुमकुम भिंडी की खेती में कमाल का मुनाफा

देश में खेती को लेकर आए दिन नए-नए नवाचार देखने को मिल रहे हैं, नई-नई फसलों की खेती की जा रही है,

इन दिनों कुमकुम भिंडी चर्चा का विषय बन गई है।

लाल भिंडी के मुनाफे से लेकर सेहत के कई लाभ है।

विदेशों से भी इस भिंडी को लेकर मांग बढ़ रही है, ऐसे में लाल भिंडी की खेती से किसान अच्‍छी कमाई कर सकते हैं।

 

विदेशों में भी बढ़ रही डिमांड

देश में अब सेहत के आधार पर खेती की जा रही है यानि की सेहतमंद फसलों को ज्यादा तवज्जों दी जा रही है ऐसे में कुमकुम भिंडी की खेती को बहुत ज्यादा पसंद किया जाने लगा है क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट और आयरन भरपूर मात्रा में होता है.

लाल भिंडी में करीब 94 प्रतिशत पॉली अनसैचुरेटेड फैट होता है.,

जो खराब कोलेस्ट्रॉल को खत्म करने में मदद करता है साथ ही लाल भिंडी में 66 फीसदी सोडियम की मात्रा हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करती है इसके सेवन से मेटाबॉलिक सिस्टम ठीक होता है साथ ही आयरन एनीमिया की कमी को दूर करती है,

इतना ही नहीं इसमें एंथोसायनिन और फेनोलिक्स होता है जो जरूरी पोषक मूल्य को बढ़ाता है,

विटामिन बी कॉम्‍प्‍लेक्‍स भी होता है फाइबर शुगर को कम करता है.

इतने सारे गुणों की वजह से कुमकुम भिंडी की डिमांड ज्यादा रहती है.

इसलिए किसानों को कुमकुम भिंडी की खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं.

 

उपयुक्त मिट्टी

कुमकुम भिंडी की खेती करने के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है,

च्छी पैदावार और गुणवत्ता युक्त फल के लिए उचित जल निकासी वाला खेत और खेत की मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच तक का होना चाहिए.

 

जलवायु

खेती करने के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उपयुक्त होती है, कुमकुम भिंडी की खेती खरीफ और रबी दोनों ही मौसमों में की जाती है,

पौधे को अधिक बारिश की ज्यादा जरूरत नहीं होती है, 

अधिक गर्मी और अधिक सर्दी कुमकुम भिंडी की खेती करने के लिए अच्छी नहीं होती, 

सर्दियों में पड़ने वाला पाला फसल को नुकसान पहुंचाता है.

पौधों को सही ढंग से विकास करने के लिए दिन में लगभग 6 घंटे तक की धूप की जरूरत होती है.

खेती का सही समय

लाल भिंडी की खेती साल में दो बार की जा सकती है. 

कुमकुम भिंडी की बुवाई का आदर्श समय फरवरी से शुरू होकर अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक होता है,

 जून से जुलाई महीने में भी इसकी बुवाई खेतों में की जा सकती है, दिसंबर-जनवरी में वृद्धि कम होगी, 

लेकिन फरवरी से फल आना शुरू हो जाएंगे, जो नवंबर तक उपलब्ध रहेंगे.

 

खेत की तैयारी

कुमकुम भिंडी की खेती करने के लिए खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से या कलटीवेटर की मदद से खेत की 2 से 3 बार जुताई करनी चाहिए, फिर खेत को कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दें.

इसके बाद खेत में 15 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से पुरानी सड़ी गोबर की खाद को डालकर खेत की फिर से 1 से 2 बार तिरछी जुताई करें, फिर खेत में पानी लगाकर खेत का पलेव कर दें, 

पलेव के दो-तीन दिन बाद जब खेत के ऊपर की मिट्टी सूखने लगे तब खेत की 1- 2 बार रोटोवेटर की मदद से जुताई करके पाटा लगाकर खेत को समतल कर दें.

सिंचाई

कुमकुम भिंडी की फसल में सिंचाई हरी भिंडी की तरह ही होती है,  मार्च के महीने में 10 से 12 दिन के अंतराल में, 

अप्रैल में 7 से 8 दिन के अंतराल में और मई-जून में 4 से 5 दिन के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए, 

बारिश के मौसम में यदि बराबर बारिश होती है तो सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती.

रबी सीजन में बुवाई करने पर 15 से 20 दिन के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए.

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