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कृषि विभाग द्वारा किसानों के लिए जारी की समसामयिक सलाह

 

किसानों को कृषि विभाग द्वारा समसामयिक सलाह जारी की गई है।

 

किसानो से कहा गया है कि वे गेहूं फसल पकते ही अर्थात जब पत्तियां और तना पीला व सूखा दिखाई देने लगे, साथ ही दाना कड़ा हो जाए व दाने में नमी लगभग 20 से 25 प्रतिशत हो, कटाई करे, कटाई के उपरांत गेहूं को बण्डल बनाकर 3 से 4 दिन तक धूप में सुखाकर गहाई/थ्रेसिंग करे।

इसी तरह से चना फसल की पत्तियां तथा तना सूख जाएव दाने में नाखुन गड़ाने पर न गड़े, तब फसल की कटाई करे तथा कटाई उपरांत 1 से 2 दिन धूप में सुखाकर फसल की गहाई करे।

मटर फसल में जब ऊपरी पत्तियां हल्की पीली होने लगे तो फसल की कटाई करे। मसूर की फसल पकने की अवस्था में जब ऊपरी पत्तियां सूख जाए और फलियां हल्की पीली हो जाए तब कटाई करे अधिक परिपक्वता होने पर फलियां गिरने व चटकने लगती है।

 

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चना, मसूर, मटर फसल का भंडारण करने के पूर्व फसल के दानों से कटे, हरे और निम्न आकार के दानो को अलग कर लेना चाहिए व दानो में 10 प्रतिशत से अधिक नमी न हो, जिससे भंडार कीटों से सुरक्षा मिलती है।

भंडारण के दौरान दानो को अधिक नमी से बचाना चाहिए। गन्ने की बसंत कालीन फसल बुवाई करे, क्षेत्र विशेष के अनुसार उचित किस्म का चयन करे व बुवाई से पूर्व गन्ने के टुकड़ो को कार्वेन्डाजिम 1 किलोग्राम प्रति लीटर पानी के घोल में डुबाकर उपचारित करें, ग्रीष्मकालीन अवस्था में तापमान के अनुसार फसल को 10 से 15 दिन के अंतराल पर उपलब्धता के अनुसार सिंचाई करे, जब गन्ने की फसल बोये तो उसमें अन्तर्वर्ती फसल के रूप में बसंत/गीष्मकालीन मूंग, उर्द की बुवाई कर सकते हैं।

इसी तरह से सरसों फसल की 75 प्रतिशत फलियां सुनहरे रंग की हो जाए तो फसल की कटाई एवं मड़ाई करके दाने अलग कर लेना चाहिए। देरे से कटाई करने पर दानो के झड़ने की आशंका रहती है।

जिन किसान भाईयों ने मूंग व उड़द की बुवाई नही की है वह शीघ्र बुवाई करे। 20 से 25 किलोग्राम बीजप्रति हेक्टर पर्याप्त होता है एवं पंक्तियों से पंक्तियों की दूरी 30 सेंटीमीटर होना चाहिए।

बुवाई पूर्व बीजोपचार 2 ग्राम थायरम व 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से जरूर करें। इसके उपरांत राइजोबियम व पीएसबी कल्चर से उपचार करे।

मूंग व उड़द में पीला मोजेक रोग निरोधक जातियों मूंग पीडीएम-139, विराट आईपीएम 205-07, शिखा आईपीएम 410-03 व उड़द पंत उर्द-31 का उपयोग करे।

 

किसानो से कहा गया है कि वे गहाई की मशीन व गहाई के स्थान को गहाई से पहले साफ करे जिससे किसी प्रकार का मिश्रण गहाई में शामिल न हो सके।

फसल गहाई के उपरांत उत्पाद को उचित नमी तक धूप में सुखायें तत्पश्चात भंडारगृह को साफ करके उसमें फसल का भंडारण करें। उप संचालक कृषि जितेन्द्र सिंह ने वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारियों, बीटीएम/एटीएम आदि को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रांतर्गत कृषक भाईयों से संपर्क करे और उन्हें समयानुकूल सलाह देना सुनिश्चित करें।

 

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