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गाजर उगाकर मुनाफा कमा रहे किसान

 

वैसे तो क्षेत्र में परंपरागत खेती वर्षों से अधिकतर किसान कर रहे हैं

 

लेकिन कुछ किसान रंगवासा, राऊ, तिल्लौर, खजराना, मांगलिया आदि स्थानों से बहुत कम भूमि करोड़ों में बेचकर ग्रामीण क्षेत्र में आकर खेती कर रहे हैं।

ऐसे कई किसानों ने यहां जमीन खरीदी और खेती शुरू की। इन्होंने परंपरागत खेती को दरकिनार कर उन्नात खेती में भाग्य आजमाया और इसका फायदा भी इन्हें मिल रहा है।

 

किसान हरि पाटीदार ने बताया कि उन्होंने सलाद के रूप में काम आने वाली गाजर का सात किलो बीज 15 हजार रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदकर लगाया था।

निंदाई करने के बाद 100 से 105 दिन में उक्त फसल को निकाल रहे हैं। इसे खरीदने वाले व्यापारी पहले से ही तैयार थे। छह रुपये प्रति किलो में सौदा भी हो चुका है। किसान का कहना है कि लागत काटकर 70 हजार रुपये प्रति बीघा के हिसाब से शुद्ध मुनाफा हुआ है।

इसी प्रकार अन्य किसान गोलू पाटीदार ने 10 बीघा में सलाद की गाजर लगाई गई। उसे भी 60 हजार से अधिक रुपये प्रति बीघा के हिसाब से मुनाफा हुआ है।

सलाद की गाजर फसल में कोई अतिरिक्त मेहनत नहीं की गई तथा सिंचाई भी अन्य फसल के मुकाबले सिर्फ तीन-चार सिंचाई में यह फसल पककर तैयार हो गई।

 

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छह महीने तक सहेजकर रख सकते हैं

सलाद की गाजर कंद फसल है। यह उन्नात किस्म की गाजर को कोल्ड स्टोर में सुरक्षित रखा जा सकता है और समय आने पर उचित दाम लेकर बेचा जाता है।

जो व्यापारी खरीद रहा है, वह भी इसे कोल्ड स्टोर में सहेजकर रखेगा। विवाह समारोह में तथा बड़ी पार्टी में ऊंचे दाम पर बेचकर मुनाफा भी कमाएंगे। कम से कम छह माह तक इसे सुरक्षित रखा जा सकता है।

 

मजदूरी भी भरपूर

इस फसल में दूसरा फायदा मजदूरों को भी हो रहा है। अधिक मजदूर लगने के कारण क्षेत्र के सभी मजदूर अच्छी मजदूरी ले रहे हैं। 40 रुपये प्रति कट्टे के हिसाब से मजदूरी दी जा रही है। एक दिन में मजदूर आठ से 10 कट्टे तक निकाल रहे हैं।

इसके चलते उन्हें 300 से 400 रुपये मजदूरी मिल रही है। इस काम में महिला, पुरुष एवं बच्चे सभी काम कर रहे हैं। मजदूरों की कमी के चलते सेंधवा से भी मजदूर बुलाए गए। क्षेत्र के अन्य किसान इस फसल को प्रेरणा के रूप में देखने पहुंच रहे हैं।

 

पहले ही सौदा करना उचित

वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी आरके विश्वकर्मा ने बताया गया कि यह अभिनव प्रयोग है। इसे प्रोत्साहन मिलना चाहिए, लेकिन इसका बाजार दूर होने के कारण किसानों की सूची इसमें नहीं है।

इस फसल में पहले से ही व्यापारी को ढूंढकर सौदा करना उचित रहता है।

 

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source : naidunia

 

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