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इस साल कपास पर मिलेगा मोटी कमाई का मौका

 

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कपास की कीमतों में जोरदार तेजी आई है.

 

सीएआई ने एक बयान में कहा कि वर्ष 2019-20 के सत्र में, कपास का निर्यात 50 लाख गांठ का हुआ था.

 

भारतीय कपास संघ (सीएआई) ने बृहस्पतिवार को अनुमान जताया है कि अक्टूबर में शुरू होने वाले 2020-21 कपास सत्र का निर्यात 20 प्रतिशत बढ़कर 60 लाख गांठ हो जाने का अनुमान.

इसका मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय कीमतों का अधिक होना है. सीएआई ने एक बयान में कहा कि वर्ष 2019-20 के सत्र में, कपास का निर्यात 50 लाख गांठ का हुआ था.  

सीएआई के अध्यक्ष अतुल गनात्रा ने बताया, ”हम भारतीय कपास की तुलना में अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अधिक होने की वजह से चालू सत्र में कपास का निर्यात 10 लाख गांठ बढ़कर 60 लाख गांठ होने उम्मीद कर रहे हैं.

एक महीने पहले, भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय कपास के बीच औसत मूल्य अंतर 10 से 13 सेंट के बीच था जो अब लगभग 4 से 5 सेन्ट के आसपास है.

 

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नेशनल टेक्सटाइल पालिसी (National Textile Policy) में 10,000 करोड़ रुपये के निवेश और 100 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य रखे जाने की संभावना है.

आत्म निर्भर भारत के विजन को ध्यान में रखते हुए भारत को ग्लोबल टेक्सटाइल प्लेयर बनाने के लिए इस सेक्टर में कई घटकों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने का विचार है.

भारत टेक्सटाइल सेक्टर के लिए लगभग 75% मशीनरी का आयात करता है. अब इसका उद्देश्य इस परिस्थिति को बदलना और स्वदेशी मशीनरी का निर्माण करना है.

पालिसी के अनुसार देश भर में सात मेगा टेक्सटाइल हब स्थापित किए जाने की उम्मीद है. तैयार उत्पाद के निर्यात और कच्चे माल से लेकर सभी एन्ड टू एन्ड प्रोडक्शन इन केंद्रों पर उपलब्ध होंगे.

 

अच्छे एक्सपोर्ट की उम्मीद

पाकिस्तान के आर्थिक समन्वय समिति ने वस्त्र उद्योग को सुचारू रूप से चलाने के लिए 30 जून तक सूती धागे के आयात पर सीमा शुल्क हटाए जाने को मंजूरी दे दी है.

वित्त मंत्रालय ने यहां इसकी जानकारी दी है. पाकिस्तान का कपड़ा निर्यात क्षेत्र लगातार ड्यूटी फ्री कपास की मांग कर रहा है और ड्यूटी फ्री कपास पाकिस्तान को भारत से ही सस्ता मिल सकता है.

किसी और देश से इसे खरीदने पर उसे पाकिस्तान तक लाने की लागत ही इतनी बढ़ जाती है, कि वो घाटे का सौदा साबित होने लगता है.

लिहाजा, पाकिस्तान का कपड़ा उद्योग इस यूटर्न के बाद सरकार पर लगातार भारत से कपास आयात का दबाव बना रहा है.

 

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महंगा बिकता है ऑर्गेनिक कॉटन

आमतौर पर, ऑर्गेनिक कॉटन समान गुणवत्ता वाले बीटी कॉटन की तुलना में 1000 रुपये प्रति कैंडी (356 किलो) का प्रीमियम प्राप्त करता है.

लेकिन, इस समय कंपनियां महाराष्ट्र और गुजरात की मंडियों में 2500 रुपये प्रति कैंडी से अधिक प्रीमियम का भुगतान कर रही हैं.

इस समय भारतीय कपास को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्राइस एडवांटेज मिल रहा है, जिसमें भारतीय कपास 40 हजार रुपये प्रति कैंडी पर बिक रही है, जबकि दुनिया के अन्य प्रमुख कपास उत्पादकों से 41 हजार रुपये प्रति कैंडी की दर से बिक रहा है.

भारत के कपड़ा और परिधान निर्यात 2024-25 तक 300 अरब डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है, जिसके परिणामस्वरूप वैश्विक स्तर पर देश की बाजार हिस्सेदारी 5% से 3 गुना बढ़ कर 15% तक हो जाएगी.

 

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