KITS वारंगल ने स्वचलित ट्रेक्टर इजाद किया है, जिसका हाल ही में चौथा ट्राइल भी सफलता पूर्वक पूरा हो चुका है.
ये ट्रेक्टर लागत प्रभावी है जो आधुनिक ढंग से किसानों की आय बढ़ाएगा.
अब रिमोट कंट्रोल से खेत की जुताई कर पाएंगे किसान
आधुनिक तकनीकों और मशीनों ने लगभग हर सेक्टर में क्रांति ला दी है. महीनों तक लंबित पड़े काम अब चुटकियों में पूरे हो जाते हैं.
खेती-किसानी के कामों को भी आशान और सुविधाजनक बनाने के लिए तमाम मशीनें, टूल्स और वाहन इजाद किए जा रहे हैं, जो लागत प्रभावी होने के साथ-साथ किसानों की आय को दोगुना करने में मददगार हैं.
इसी दिशा में काकतीय इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, वारंगल (KITS-W) ने किसानों को लिए एक ड्राइवरलैस ऑटोमैटिक ट्रैक्टर इजाद किया है, जिसका चौथा ट्राइल भी सफलतापूर्वक हो चुका है.
जानें स्वचलित ट्रैक्टर की खूबियां
KITS, वारंगल के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग (CSE) के प्रोफेसर डॉ. पी निरंजन ने बताया कि ड्राइवरलैस स्वचलित ट्रैक्टर के लिए 41 लाख रुपये की परियोजना राशि दी गई थी.
इस ट्रेक्टर के फीचर्स को लेकर इस प्रोजेक्ट के हैड अन्वेषक एमडी शरफुद्दीन वसीम ने बताया कि ये स्वचालित ट्रैक्टर किसानों को सुविधाजनक ढंग से खेतों की जुताई करने में मदद करेगा.
उन्होंने बताया कि ये लागत प्रभावी ट्रेक्टर खेती में किसानों का खर्च और समय बचाएगा.
साथ ही किसानों की आय को बढ़ाने में भी मददगार साबित होगा.
विशेषज्ञों ने बताया कि इस ट्रैक्टर को इजाद करने का प्रमुख लक्ष्य खेती में मानव श्रम को कम करना है.
इस ट्रैक्टर को ठीक उसी तरह डिजाइन किया गया है. किसान एक रिमोट कंट्रोल डिवाइस से इस ट्रैक्टर का संचालन कर सकते हैं.
एंड्रॉयड एप्लीकेशन से चलेगा ट्रैक्टर
सीएसई के प्रोफेसर निरंजन रेड्डी ने बताया कि स्वचालित ऑटोमैटिक ट्रेक्टर को कंप्यूटर गेम की तरह ही एक एंड्रॉइड एप्लीकेशन की मदद से संचालित कर सकते हैं.
इसमें लाइफ फील्ड से डेटा इकट्ठा करने के लिए विशेषज्ञों ने सेंसर भी लगाए हैं, जो स्थान विशेष पर काम करने के लिए तापमान और मिट्टी की नमी का भी पता लगाने में मदद करेंगे.
इससे मिट्टी की कमियों का भी पता लगाकर डेटा कलेक्शन में भी आसानी रहेगी.
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