प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल तक पा सकते हैं पैदावार
सरसों की अगेती खेती कर किसान ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त कर सकते हैं और उनका खेत समय पर खाली हो जाएगा.
इससे वे सब्जियों की खेती कर एक सीजन में दो की जगह तीन पैदावार हासिल कर लेंगे.
इस साल अच्छी कीमत मिलने से उत्साहित किसान ज्यादा रकबा में सरसों की खेती करने की योजना बना रहे हैं.
देश के कुछ हिस्सों में अगेती करने वाले किसान सरसों की बुवाई या तो कर चुके हैं या कर रहे हैं.
लेकिन कुछ हिस्सों में लगातार बारिश होने के कारण सरसों की अगेती खेती में देरी हुई है.
अगर आप भी सरसों की अगेती करने जा रहे हैं तो हम आपको कुछ किस्मों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे आप अधिक से अधिक पैदावार हासिल कर सकते हैं.
दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुवांशिकी संस्थान के कृषि विशेषज्ञ डॉ नवीन सिंह के मुताबिक, सरसों की अगेती खेती कर किसान ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त कर सकते है और उनका खेत समय पर खाली हो जाएगा.
इससे वे सब्जियों की खेती कर एक सीजन में दो की जगह तीन पैदावार हासिल कर लेंगे.
उन्होंने बताया कि कुछ ऐसी उन्नत किस्में विकसित हो चुकी हैं, जिनसे किसान एक हेक्टेयर में 20 क्विंटल तक पैदावार हासिल कर सकते हैं.
जल्द पककर हो जाती हैं तैयार और मिलता है अधिक उत्पादन
कृषि वैज्ञानिक डॉ नवीन सिंह कहते हैं कि किसान भाई कम समय में पककर तैयार हो जानी वाली भारतीय सरसों की अच्छी प्रजाति लगाकर मुनाफा कमा सकते हैं.
पूसा ने कुछ किस्मों को विकसित किया है, जो जल्द पककर तैयार हो जाती हैं और उत्पादन भी अधिक मिलता है.
डॉ सिंह ने बताया कि पूसा अग्रणी किस्म 10 दिन में पक कर तैयार हो जाती है और एक हेक्टेयर में 13.5 क्विंटल पैदावार मिलती है.
इसके अलावा, पूसा तारक और पूसा महक किस्मों की अगेती खेती हो सकती है.
ये दोनों किस्में करीब 110-115 दिन के बीच पक जाती हैं और प्रति हेक्टेयर औसतन 15-20 क्विंटल पैदावार हासिल होती है.
कीट के प्रकोप से बच जाती है सरसों की अगेती फसल
इसके अलावा, पूसा सरसों- 25 नाम की किस्म 100 दिन में तैयार हो जाती है. एक हेक्टेयर में पूसा सरसों- 25 की बुवाई कर 14.5 क्विंटल पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.
इसके अलावा एक और किस्म है, पूसा सरसों- 27. इसे पकने में 110-115 दिन का समय लगता है और प्रति हेक्टेयर 15.5 क्विंटल तक पैदावार मिल जाती है.
पूसा वैज्ञानिक के मुताबिक, सबसे नवीनतम किस्म पूसा सरसों- 28 है.
यह 105-110 दिन में पक जाती है और 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार हासिल होती है.
डॉ नवीन सिंह ने बताया कि इन सभी किस्मों की 15 सितंबर के आस पास बुवाई की जा सकती है और जनवरी के पहले हफ्ते तक इनकी कटाई हो जाती है.
सरसों की अगेती खेती में एक फायदा यह भी होता है कि यह कीट के प्रकोप से बच जाती है.
सरसों की फसल पर माहू या चेपा कीट का हमला होता है, लेकिन अगेती फसल उससे पहले ही पककर तैयार हो जाती है, जिससे किसान नुकसान से बच जाते हैं.
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