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फूलों की खेती करके कमा सकते हैं भारी मुनाफा

 

हमारी यह खास रिपोर्ट उन सभी धरती पुत्रों के लिए बेहद खास होने जा रही है, जो फूल की खेती में अपना भविष्य तलाश रहे हैं. 

फ्लोरीकल्चर में कदम रखते ही हमारे किसान भाई बेहद ही कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. 

 

क्या होता है फ्लोरीकल्चर‘?

हमारे किसान भाइयों को सबसे पहले हम यह बताते चले कि आखिर यह ‘फ्लोरीक्लचर’ क्या होता है.

सामान्य भाषा में ‘फ्लोरीक्लचर’ का मतलब है, ‘फूलों की खेती’, आमतौर पर  ‘फ्लोरीकल्चर’ के तहत विभिन्न किस्म के फूलों का उत्पादन कर उसे बाजार में बेचकर मुनाफा कमाया जाता है, लेकिन हम आपको अपनी इस खास रिपोर्ट में सभी फूलों के बारे में तो नहीं लेकिन गेंदे के फूल की खेती के तरकीब के बारे में बताने जा रहे हैं कि कैसे आप इसकी खेती शुरू कर सकते हैं.

 

जानें, गेंदे की खेती कैसे करें ?

देखिए, आमतौर पर गेंदे के फूल के कई किस्म बाजार में मौजूद हैं, लेकिन हम आपको उन किस्मों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आप दिल्ली के ‘पूसा कृषि अनुसंधान संस्थान’ से प्राप्त कर सकते हैं.

पूसा कृषि अनुसंधान संस्थान के उद्दान विभाग की डॉ सपना से मिली जानकारी के मुताबिक, ‘वैसे तो आपको गेंदे के फूल की कई किस्में बाजार में मिल जाएंगी, लेकिन आपको पूसा कृषि अनुसंधान से ‘पूसा नारंगीं गेंदा’ और ‘पूसा बसंती गेंदा’ के किस्म का फूल की बीज मिल जाएगी.

डॉ सपना ने बताया कि यह दोनों ही किस्में अफ्रीकन मेरी गोल्ड फूलों की श्रेणी में आती है. बता दें कि हमारे किसान भाइयों को गेंदे की फूल की खेती के बारे में तफसील से पूरी जानकारी देने के लिए हमारी डॉ सपना से कई मसलों पर विस्तार से वार्ता हुई. हम उन सभी मसलों को आपके सामने पूरे तफसील से पेश करने जा रहे हैं.

 

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कितनी लगेगी लागत

देखिए, कोई भी व्यापार, खेती या कोई भी आर्थिक काम शुरू करने से पहले हमें उस पर लगने वाले लागत के बारे में जानना बेहद जरूरी है. वहीं, अगर बात गेंदे की खेती शुरू करने से पहले उस पर लगने वाले लागत की करें, तो डॉ सपना ने इस संदर्भ में जानकारी देते हुए बताया कि शुरूआती दौर में हमारे किसान भाई एक एकड़ की जमीन पर अगर गेंदे की खेती करना चाहते हैं, तो उसमें 20 से 25 हजार रूपए की लागत आ सकती है, वो भी तब जब आप खेती की पूरी प्रक्रिया को खुद ही अंजाम देते हैं, अगर आप खेती की पूरी प्रक्रिया को किसी और से करवाते हैं, तो फिर आप इसमें मजदूरी लागत भी जोड़ लीजिएगा.

 

बुवाई

इसके अलावा अगर इस फूल के बुवाई की बात करें, तो प्रति एकड़ जमीन पर 800 ग्राम से 1 किलोग्राम बीज लगता है.

बीज की बुवाई के बाद तकरीबन 25 दिन इसको पौध बनने में लगते हैं. आमतौर पर गेंदे के बीज की बुवाई अगस्त से सितंबर माह के बीच किया जाता है. फरवरी-मार्च में यह पूरी तरह तैयार हो जाता है. 

 

बुवाई हेतु किस तरह के जलवायु की पड़ती है जरूरत

आमतौर पर भारत में सभी प्रकार के जलवायु में गेंदे की खेती की जाती है. इसकी खेती सर्दी, गर्मी और बरसात इन तीनों ही ऋतुओं में की जाती है.

 

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बुवाई हेतु मिट्टी की जरूरत

यूं तो गेंदे की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जाती है, लेकिन अगर गहरी मृदा उर्वरायुक्त मिट्टी मिल जाए, जिसमें पानी का निकास बेहतर हो, तो यह गेंदे की खेती के लिए बेहद उपयुक्त रहती है, लेकिन विशेष रूप से बुलई-दोमट मृदा गेंदे की खेती के लिए बहुत उपयुक्त मानी जाती है.

 

खाद एवं उर्वरक

गेंदे की खेती करते समय खाद एवं उर्वरक का किरदार बेहद अहम होता है- 

सड़ी हुई गोबर की खाद- 15-20 टन प्रति हेक्टेयर

यूरिया – 600 ग्राम प्रति हेक्टेयर

सिंगल सुपर फॉस्फेट- 1000 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

म्यूरेट ऑफ पोटाश- 200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

 

ऐसे करें इसका प्रबंधन

 वहीं अगर इसके प्रबंधन की बात करें, तो इसके लिए आपको विभिन्न बातों का ध्यान रखना होगा. आमतौर पर गेंदे की फूल के साथ खरपतवार की समस्याएं आती है. यह खरपतवार फूलों से पोषक तत्व चुराते हैं, जिसका दुष्प्रभाव फूलों की वृद्धि पर पड़ता है.

अब आपके जेहन में सवाल उठता है कि इन फूलों का प्रबंधन कैसे किया जा सकता है. फूलों पर आने वाले खरपतवार पर आप रासायनिक तरीके से रोक लगा सकते हैं. इसके लिए एनिबेन 10 पॉन्ड, प्रोपेक्लोर और डिफेमेनिड 10 पोंड प्रति हेक्टेयर से सुरक्षित एवं संतोषजनक रहेगा.

 

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स्त्रोत : कृषि जागरण 

 

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